Apr 1, 2018
हरदा के जल स्तर में लगातार आ रही गिरावट को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर अनय द्विवेदी ने जिले में खनन पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। बावजूद इसके जिले में धड़ल्ले से खनन जारी है, बता दें हरदा जिले में अवैध बोरिंग का सिलसिला लगातार जारी रहने से इस मामले को लेकर अधिकारियों के द्वारा कोई कार्यवाही न होना संदेह की स्थिति पैदा करता है।
बता दें हरदा जिले में सूखे से निपटने के लिए कलेक्टर अनय द्विवेदी ने पूरे जिले में बोरिंग करने पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन निचले अधिकारियों की लापरवाही और बोरिंग मशीन संचालकों से सांठगांठ होने के कारण यह सिलसिला लगातार जारी है। जिले के टिमरनी विकासखंड के ग्राम करताना सहित अन्य क्षेत्र में खुलेआम रात और दिन स्थानीय चौकी प्रभारी, पटवारी, तहसीलदार, SDM की सांठगांठ से खुलेआम बोरिंग हो रहे हैं। पूर्व में भी इसकी सूचना टिमरनी एसडीएम को दी थी लेकिन कार्रवाई के नाम पर पटवारी आरआई द्वारा पंचनामा बनाकर कुछ ही घंटों के बाद छोड़ दिया गया।
इन स्थानों पर हो रहे हैं अवैध बोरिंग
ग्राम करताना, नयागांव, गाडा मोड, बाजनिया, तजपुरा, छीपानेर , रुदलाय, सहित कई स्थानों पर खुलेआम बोरिंग हो रहे हैं। इससे प्रतीत होता है कि अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी किस प्रकार से जिला कलेक्टर के आदेश की खुले आम धज्जियां उड़ा रहे हैं। गौरतलब है कि हरदा जिले में मार्च महीने में से ही सैकड़ो हैंडपंप सहित प्रमुख नदियों में पानी सूख गया है। बावजूद इसके आने वाले समय में आने वाली पानी की भीषण समस्या से निपटने अधिकारी अक्षम नजर आ रहे हैं।
पीएचई विभाग का क्या है कहना
पीएचई विभाग जिले में रात्रि के समय में अवैध खनन होने की बात को स्वीकारते हुए स्टाफ की कमी का रोना रो रहे है। अधिकारी बोरिंग मशीन को पकड़ने में कोताही बरत रहे हैं। मालूम हो कि एक बोरिंग होने में 4 से 5 घण्टे का समय लगता है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों का इस मामले में कार्यवाही नहीं कर पाना उनकी प्रशासनिक कमजोरी को उजागर कर रहा है।जबकि जिला पंचायत में जल समिति की बैठक के दौरान कलेक्टर सख्त नजर आए थे। बोरिंग के लिए संबंधित एसडीएम से अनुमति लेनी होती है पर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बिना अनुमति के अनेकों जगह बोरिंग कर लिए गए हैं परिणाम स्वरूप आम लोगो को आने वाली भीषण गर्मी में पानी की समस्या से जूझना होगा भले ही अधिकारी जिले में पानी की समस्या नहीं होने की बात कह रहे हो। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वन ग्रामो में अभी से बढ़े पैमाने पर पानी की समस्या आन पड़ी है।