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ग्वालियरः 1 अप्रैल से शुरू होगी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया

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Mar 30, 2018

ग्वालियर। जिले में नियमों के विपरीत बसाई गईं अवैध कॉलोनियों के वैध होने की प्रक्रिया जल्द शुरु होने वाली है। यहां बसी अवैध कॉलोनियां अगले महीने से वैध होना शुरू हो जाएंगी। 2013 में चुनाव के बाद की गई घोषणा पर 5 साल बाद अमल की कवायद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की है। वे 7 अप्रैल को ग्वालियर के फूलबाग मैदान में आयोजित अंत्योदय मेले में कॉलोनी वैध किए जाने के प्रदेशव्यापी अभियान की शुरूआत करेंगे। इसकी प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू हो जाएगी और कॉलोनाइजर या किसी कॉलोनी के रहवासियों का समूह इस दिन से संपत्ति वैध कराने के लिए आवेदन कर सकेगा।

600 कॉलोनियों में रह रहे परिवारों को होगा फायदा...

सरकार ने इसके लिए 15 अगस्त तक की समय सीमा निर्धारित की है। इससे ग्वालियर में 600 कॉलोनियों में रह रहे हजारों परिवारों को इसका फायदा मिलेगा। इस अभियान में 15 हजार से ज्यादा संपत्तियां वैध होंगी। इस संबंध में ग्वालियर में एक बड़ा कार्यक्रम सीएम की अगुवाई में शहर के फूलबाग मैदान पर रखा गया है। जिसकी तैयारियां भी शुरू हो गयी है। आज कलेक्टर, एसपी, कमिश्नर ने कार्यक्रम स्थल की व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया है। साथ ही नगरीय निकायों के आधिकारियों को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। 

क्या हैं नियम, कौन कर सकता है आवेदन... 

कॉलोनाइजर द्वारा पूरी कॉलोनी को वैध कराने के लिए कार्रवाई की जा सकती है। यदि कॉलोनाइजर आगे नहीं आए तो अवैध कॉलोनी के 10-15 संपत्ति मालिक आवेदन कर संपत्तियों को वैध करा सकते हैं। 

31 दिसम्बर 2012 तक बन चुकी अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने की कार्रवाई की जाती थी। लेकिन अब 31 दिसम्बर 2016 तक की कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई शुरू होगी। 

कॉलोनी वैध किए जाने के दौरान भूमि संबंधी नजूल एनओसी, टीएंडसीपी अनुमति, निर्माण की अनुमति समेत संबंधित निकाय की एनओसी प्राप्त करनी होगी। नियमानुसार यह दस्तावेज जरूरी होंगे। 

जिन अवैध कॉलोनियों में 10% बसाहट हो और 70% आबादी निम्न आय वर्ग की हो। वहां कॉलोनी वैध करने के बाद विकास कार्य के लिए रहवासियों से 20%राशि ली जाएगी। बाकी 80% राशि स्थानीय निकाय व राज्य सरकार द्वारा खर्च की जाएगी। 

कॉलोनियों के वैध होने के बाद उनमें विकास कार्य कराए जाने के लिए जनभागीदारी की राशि में सांसद-विधायक निधि को शामिल किया जा सकेगा। इससे विकास पर खर्च होने वाली पूरी राशि का वजन रहवासियों पर न पड़े।