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पन्नाः ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, नेताओं के लिए लटकाई जूतों की माला

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Mar 20, 2019

सुरेन्द्र प्रताप सिंह- जनता का जब गुस्सा फूटता है तो सब तबाह कर देता है। यह बात सोलह आने सच है। कई सरकारें आईं और गईं। कई नेता वादा करके चले गए, मगर पन्ना के सरहंजा पंचायत अंतर्गत आने वाले उड़की गांव में लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। वैसे भी बुंदेलखंड का पन्ना जिला अन्य जिलों की अपेक्षा सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है। देश आजाद हो गया पर उड़की गांव के लोग आज भी कुएं के मेंढक की तरह हैं।

आने वाले लोकसभा चुनाव में चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय

गांव के लोगों का कहना है कि वर्षों से नेता चुनाव के समय गांव में वोट मांगने आते हैं, हाथ जोड़ते हैं लेकिन चुनाव होते ही उन्हें भूल जाते हैं। एक बार नहीं, दो बार नहीं, आजादी के बाद से यही चला आ रहा है। गांव की हालत जस की तस बनी हुई है। गांव की सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई है। खेतों के बीच से हो कर उन्हें निकलना पड़ता है। जिस कारण से ग्रामीणों ने आने वाले लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया। साथ ही गांव में पानी की भी काफी किल्लत है जिस कारण से ग्रामीण परेशान है। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने चौराहे पर जूतों की माला बनाकर टांगी है ताकि कोई भी नेता वोट मांगने आएगा तो यह जूतों की माला ग्रामीण उन्हें पहनाएंगे।

गांव में मूलभूत सुविधाएं न होने की वजह से घरों में लिखे रोड नहीं, तो वोट नहीं

तस्वीरों को अगर ब्लाक एंड वाइट् कर दी जाए तो शायद ऐसा लगेगा जैसे हम आजादी के पहले वाली तस्वीर देख रहे हों। गांव में आज तक रोड नहीं बन पाई जिस कारण से ग्रामीणों को काफी समस्यायों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने घर में रोड नहीं, तो वोट नहीं की तख्तियां लिखकर टांग रखी हैं। इतना ही नहीं गांव में कई कुँवारी लड़कियां बैठी हुई हैं और सड़क न होने की वजह से कोई उस गांव में शादी नहीं करना चाहता है। जिस कारण ग्रामीणों का गुस्सा सातवे आसमान पर है और उनका कहना है कि अगर इस लोकसभा चुनाव में कोई भी उनके गांव वोट मांगने आएगा तो ग्रामवासी जूतों की माला से उनका स्वागत करेंगे।

नेता और अधिकारियों से की गई शिकायत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं

गांव में मुख्य समस्या तो सड़क की है कई बार ग्रामीणों ने नेता और अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत की लेकिन किसी ने भी उनकी एक नहीं सुनी। सड़क न होने की वजह से छात्र-छात्राएं स्कूल नहीं जा पाते हैं। इतना ही नहीं बरसात के मौसम में ग्रामीण कैदियों की तरह कैद हो जाते हैं। अगर कोई बीमार हो जाता है तो मुख्यमार्ग के चलते उसकी मृत्यु हो जाती है। गांव के बुजुर्ग कब से ये सपना देख रहे है कि उनके गांव का विकास होगा, लेकिन हालात जस की तस है। वहीं जब इस पूरे मामले में अपर कलेक्टर से बात की गई तो उनका कहना था कि ग्रामीणों को समझाइश दी जाएगी कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग करें, साथ ही गांव में जो भी समस्या है उनकी समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास किया जाएगा।