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विदिशाः बेशकीमती पुरातत्व महत्व की प्रतिमाएं खुले में, औपचारिकता की भेंट चढ़ा विदिशा पुरातत्व संग्रहालय

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Apr 19, 2019

दीपेश साह- विदिशा में कल पुरातत्व विभाग ने विश्व धरोहर दिवस मनाया औपचारिकता की भेंट बंद कर रहा है। क्या मात्र आधे घंटे के अंदर कार्यक्रम शुरू होकर विभाग को दर्शक ही नहीं मिले। वहीं पानी में बेशकीमती पुरातत्व महत्व की प्रतिमाएं खुले में पड़ी हैं। जिस की अनदेखी विभाग की कथनी और करनी को प्रदर्शित करती है।

अब लोगों का रुझान अपनी पुरातन धरोहर के प्रति नहीं रहा

विदिशा पुरातत्व संग्रहालय जो शहर के बीचों बीच है, ठीक उसके सामने कलेक्टर बंगले से लेकर सारे अधिकारियों का यहां से निकलना रहता है, लेकिन यह जिला पुरातत्व संग्रहालय बदहाली का सामना कर रहा है। कल विश्व धरोहर दिवस था जो औपचारिकता की भेंट चढ़ चुका है। चीफ गेस्ट जिसने पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया था, वह चीफ गेस्ट महोदय जी पुरातत्व विभाग की अनदेखी की आलोचना करते देखे गए। उन्होंने कहा कि खुले में प्रतिमा रखी हैं और मूर्ति जिन पैडल स्टल पर रखी है उनको भी दीमक चाट चुकी है। इसी वजह से लोगों का रुझान अपनी पुरातन धरोहर के प्रति नहीं है।

आपको बता दें कि हर वर्ष लाखों रुपए का बजट लेकर पुरातत्व विभाग बिल्डिंग बनवाता है। अन्य दूसरे काम करवाता है, लेकिन पूरी बिल्डिंग जगह-जगह से दरक रही है। थोड़े से पानी गिरने पर ही उसके अंदर पानी भर जाता है। यही हाल मूर्तियों का है, जो खुले में यहां-वहां बिखरी पड़ी हुई हैं। कुल मिलाकर पुरातत्व विभाग का यह प्रदर्शनी और विश्व धरोहर दिवस मात्र औपचारिकता की भेंट चढ़ कर रह गया है।

प्रभारी अधीक्षक जिला पुरातत्व संग्रहालय विदिशा ने  सुव्यवस्थित करने का दिया आश्वासन

अहमद अली,प्रभारी अधीक्षक जिला पुरातत्व संग्रहालय विदिशा ने अपने संभाषण में कहा कि कांस्य प्रतिमाओं का संसार इस विषय को लेकर यहां पर प्रदर्शनी लगाई है। इसमें सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर 19 वी सदी की जो कहां से प्रतिमाएं हैं उन प्रतिमाओं के छायाचित्र को प्रदर्शन किया गया है। हमारी जो प्रतिमाएं जो बिखरी हुई हैं, वह जरूर उसके लिए हम प्रयासरत हैं। सैंक्शन जल्दी से हो जाएगा और फिर जल्दी से व्यवस्थित करने का हमारा इरादा है। हम उम्मीद करते हैं कि कुछ समय में आपको यह नए रूप में सुव्यवस्थित नजर आएगा। अभी आचार संहिता के कारण सैंक्शन नहीं हो पा रहा है, हमारी मजबूरी है।