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गरीब वंचित खाद्यान्न कूपन से, अधिकारी उड़ा रहे मौज

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Mar 7, 2019

नवीन मिश्रा- जहां सरकार एक तरफ हर गरीब को रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था में देने में लगी है, तो वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों की संवेदनहीनता कहें या फिर लापरवाही जो सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दरअसल सिंगरौली जिले में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को खाद्यान्न कूपन नहीं जारी हो पा रहा। जिसकी वजह से गरीब परेशान हैं। वहीं असरदार लोग दबाव डालकर खुद का नाम गरीबी रेखा में जुड़वा कर खाद्यान्न कूपन प्राप्त कर रहे हैं। अब अधिकारी नियमों का हवाला देकर बचने का प्रयास कर रहे हैं। 

गरीब आदिवासी हो रहे दाने-दाने के लिए मोहताज

सिंगरौली जिला यूं तो आदिवासी बाहुल्य जिला है। ज्यादातर आबादी ग्रामीण क्षेत्र की है जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। यही वजह है कि सिंगरौली जिले में 80 फ़ीसदी खाद्यान्न पर्ची जारी की जाती है, लेकिन इन खाद्यान्न पर्चियों का सही फायदा सही लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। यही वजह है कि आए दिन लोग अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर होते हैं। दो वक्त की रोटी के लिए मकरोहर, अमहरा और चितरंगी जैसे इलाकों के लोग बेहद परेशान हैं। अधिकारियों के चक्कर लगाकर भी यह लोग थक चुके हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें पात्रता पर्ची नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से राशन की दुकान से उन्हें अनाज भी नहीं मिल रहा है। वहीं ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि गांव के ही ऐसे लोगों को जो सरकारी शिक्षक हैं, उन्हें बाकायदा गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनाया गया है और पात्रता पर्ची जारी हो रही है। लेकिन जो गरीब आदिवासी हैं वह दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहे हैं। इस पूरे मामले पर खाद्य अधिकारी का एक अपना अलग ही तर्क है। गरीबों को या उनके सही हक़दारो को पर्ची ना मिलने के सवाल पर वह भोपाल स्तर के अधिकारियों को दोषी बता रहे हैं। असल  में पूरा खेल निचले स्तर के कर्मचारियों का ही होता है। जो महज चंद पैसों के लालच में गरीबों का निवाला अमीरों की थाली में सजा रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि इन गरीबों का हक इन्हें कब तक मिल पाएगा।