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इंदौर में आॅटो चालक वसूल रहे मनमाया किराया, प्रशासन है बेखबर!

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Feb 27, 2018

इंदौर में ऑटो चालक बिना मीटर चालु किये ही सवारियों से मन माना किराया वसूल रहे है और कोई भी इन ऑटो चालक का विरोध नहीं कर रहा है हालत यह हो गई है कि कोई भी ऑटो चालक बिना मीटर के ही रूपये तय कर सवारी को बता देता है, और सवारी की भी मजबूरी होने के कारण जितने रूपये उसे बताए जाते हैं वह उतने रूपये ही आॅटो चालक को दे देता है।

स्वराज एक्सप्रेस की टीम ने की ग्राउंड रिर्पोटिंग
इंदौर में एक बार फिर स्वराज एक्सप्रेस की टीम ने ग्राऊंड जीरो से रिपोटिंग की और जाना कि किस तरह से तमाम सारे नियम और कायदो को चंद पैसों के लालच में हवा में उड़ाया जा रहा है और जिन्हे कार्रवाई करनी चाहिए वो आखें मूंद कर बैठे है। स्वराज एक्सप्रेस की टीम सबसे पहले इंदौर के रेलवे स्टेशन पहुंची और जब वहां खड़े ऑटो चालकों से राजबाड़ा या फिर इंदौर की किस अन्य जगह पर जाने के लिए पूछा तो उन्होंने मीटर से चलने के साथ ही पहले से तय किये हुए किरायों का जिक्र कर दिया।

इससे यह तो अनुमान लगाया जा सकता है कि इंदौर जिला प्रशासन ने पूर्व कलेक्टर पी नरहरि के निर्देश में पिछले साल बिना मीटर चलने वाले ऑटो चालको पर मुहीम चलाई थी और उस कार्रवाई का असर इंदौर के आटो चालकों पर इस कदर से हुआ था कि कोई भी ऑटो चालक बिना मीटर के ऑटो इंदौर शहर में नहीं चला रहा था लेकिन उनके जाने के बाद फिर से इंदौर शहर में ऑटो चालक बिना मीटर के ही सवारियों को लाने ले जाने का काम कर रहे है और इसका सीधा असर यात्रियों पर हो रहा है।

आॅटो चालक अपने हिसाब से तय कर रहे किराया
वहीं जब इंदौर के ऑटो चालकों से इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि ओला ऑटो और जुगनू ऑटो के कारण इस तरह से काम करना पड़ रहा है ऑटो चालको का कहना था कि ओला ऑटो और जुगनू ऑटो जो जिला प्रशासन और आरटीओ ने माप दंड मीटर से संबंधित तय किये है उनके हिसाब से नहीं चलते है और वो अपने रेट देकर सवारियों को अपनी और आकर्षित करते है। जैसे यदि किस सवारी को रेलवे स्टेशन से राजबाड़ा जाना है तो जो सामान्य मीटर होते है उससे 50 से 60 रूपये बनते है लेकिन यदि कोई सवारी ओला ऑटो और जुगनू ऑटो बुक करता है तो वही किराया 30 रूपये के आसपास हो जाते है जिसके कारण यात्रियों की सुविधा को देखते हुए ऑटो चालक इस तरह से किराया तय कर लेते है।

यात्रियों का क्या है कहना
वही जब ऑटो में सफर करने वाले यात्री से बात हुई तो कुछ ने बताया की जिस तरह से ऑटो चालको से किराए के संबंध पूछो तो वो पहले तो जहां जाना है वहां के बारे में पूछेंगे और उसके बाद किराया बतायेंगे और यदि मीटर से चलने का कहो तो वो मना कर देंगे या फिर मोल भाव कर चलने की बात करते है।

वही कुछ लोगों का कहना है कि ओला ऑटो और जुगनू ऑटो जिस तरह से सुविधा दे रहे है वो सुविधा काफी सस्ती और अच्छी है और इसका फायदा यह होता है कि जिस भी जगह जाना से जाना है वहां पर ऑटो जा जाता है और जहां पर जाना है वहां पर ओला और जुगनू ऑटो छोड़कर आ जाते है साथ ही यदि इन ऑटो के किराये की बात करे तो इन ऑटो में किराया काफी कम लगता है जिसके कारण इस ऑटो की ज्यादा डिमांड है।

फिलहाल जहां दोनों तरफ की सुविधा के कारण ऑटो चालक और यात्रियों का फायदा हो रहा है वही इस ऑटो चालक का सीधा फायदा ओला और जुगनू जैसे कम्पनी फायदा उठा कर बड़ा मुनाफा कमा रही है। वही जिला प्रशासन को जितना राजस्व मिलना चाहिए वो राजस्व इंदौर ऑटो चालकों से नहीं मिल पा रहा है। और इसका सीधा असर चंद भ्रष्टाधिकारी को हो रहा है।