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ग्वालियरः अब किसी एक स्त्रोत से ही ले सकेंगे पानी, नहीं तो होगी कार्रवाई

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Feb 22, 2018

ग्वालियर। अगर आपके घर निजी बोरिंग या सरकारी बोरिंग है, अथवा किसी अन्य स्त्रोत से भी पानी आ रहा है तो अब आप केवल एक ही स्रोत से पानी ले सकेंगे। दो स्त्रोतों से पानी लेते पाए गए तो आपके और आपके क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।पानी की एक-एक बूंद सहेजने के लिए ग्वालियर निगम प्रशासन यह सख्ती करने जा रहा है।

शहर में बढ़ी पानी की समस्या...

शहर में पिछले पांच सालों से कम बारिश होने के कारण पानी की समस्या बढ़ गई है।लोगों के घरों में पानी के स्त्रोत कितने हैं, और कितना पानी उपयोग हो रहा है।साथ ही निगम के खजाने में कितना पैसा आ रहा है। इन सबका सर्वे वार्ड स्तर पर कराया जा रहा है।

चल रहा है सर्वे...

वार्ड में कितना पानी सरकारी और निजी बोरिंग से तथा कितना पानी तिघरा से दिया जा रहा है।क्षेत्र में कितनी बर्फ फैक्ट्री,पानी बोतल और पाउच फैक्ट्री हैं। होटल, रेस्टोरेंट, अस्पतालों में कितना पानी खर्च हो रहा है। इसके विस्तृत आंकड़े जुटाने के लिए सर्वे चल रहा है।

शहर के इकलौते पानी के स्रोत तिघरा बांध में पानी ना होने की स्थिति में शहर के लोगों को जल संकट से  निजात दिलाने अभी ककेटो बांध से पानी लिफ्ट किया जा रहा है, और जल्द ही पहसारी बांध से भी पानी लाने की कवायद की जा रही है ,जिसको लेकर नगर निगम खाका तैयार कर रहा है।

जब पूरा प्लान बनकर तैयार हो जाएगा उसके बाद शहर में पानी की कमी में इसकी बर्बादी करने वाले उपभोक्ताओं और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस कर रही विरोध...

हालांकि कांग्रेस नगर निगम के इस तरह के सर्वे पर सवाल खड़े कर रही है, कांग्रेस का कहना है, कि जब शहर में पानी की इतनी किल्लत बढ़ गई है, तब महापौर को पानी की याद आ रही है, पिछले 10 सालों से चंबल नदी से पानी लाने की बात की जा रही है, लेकिन अभी कुछ नहीं हो पाया है, और अब लोगों को इस तरह की कार्रवाई का डर दिखाकर प्यासा रखने की कोशिश की जा रही है, कांग्रेस इस पर चुप नहीं बैठेगी इसका पुरजोर विरोध करेगी।

शहर में पिछले 5 सालों में औसत से कम बारिश...

गौरतलब है कि ग्वालियर में पिछले 5 सालों में औसत से कम बारिश हो रही है, जिससे जिले और उसके आसपास सूखे जैसे हालात बन गए हैं, आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी पानी का जलस्तर तेजी से घट गया है, और शहरी क्षेत्र में हालात बदतर होते जा रहे हैं, ऐसे में अगर जल्द ही पानी के लिए कोई ठोस जमीनी योजना नहीं शुरू की गई तो आगे पानी की किल्लत भयानक रूप धारण कर सकती है।