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जेयू में पीएचडी घोटाले की जांच लंबित, कमीशन के लिए कार्यालय अभी त​क उपलब्ध नहीं

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Apr 11, 2019

धर्मेन्द्र शर्मा : ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के बहुचर्चित पीएचडी घोटाले की जांच अब तक शुरू नहीं हो सकी है। 15 दिन पहले हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक जांच आयोग बना कर उसके अध्यक्ष से महीने भर के भीतर जांच रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन 15 दिन से ज्यादा बीत जाने के बाद भी कमीशन अपना काम अभी तक शुरू नहीं कर पाया है और अभी तक जेयू ने कमीशन के लिए कार्यालय तक उपलब्ध नहीं कराया है।

ललित खरे ने हाईकोर्ट में की जनहित याचिका दायर 
गौरतलब है कि शहर के एक व्यक्ति ललित खरे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिसमें उसने आरोप लगाया था कि जीवाजी विश्वविद्यालय से लोग फर्जी तरीके से पीएचडी की उपाधि हासिल कर रहे हैं। इसके लिए ना तो वे कोर्स वर्क पूरा कर रहे हैं ना ही गाइडों के मार्ग निर्देशन में 200 दिन की जरूरी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। 

नौकरी पर रहते हुए वि​वि से हासिल की डॉक्टरेट
अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग के भोपाल में पदस्थ एक अफसर सुरेंद्र भंडारी के दस्तावेज भी हाई कोर्ट में पेश किए गए थे। जिसमें बताया गया था कि नौकरी पर रहते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट हासिल कर ली। कश्मीरी छात्रों के भी दस्तावेज कोर्ट को उपलब्ध कराए गए थे। जो जम्मू कश्मीर में नौकरी करते रहे लेकिन उन्हें पीएचडी की उपाधि जीवाजी विश्वविद्यालय से दे दी गई। 

घोटाले की जांच के लिए जांच आयोग का गठन 
हाई कोर्ट ने इसे गंभीर माना और 15 दिन पहले इस घोटाले की जांच के लिए जांच आयोग का गठन किया। उसके अध्यक्ष सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज डी के पालीवाल को निर्देशित किया है कि वे 1 महीने के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करें। लेकिन जिस तरह से अभीतक कमीशन जांच शुरू नहीं कर सका है उसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

छात्र संगठन एनएसयूआई का आरोप
छात्र संगठन एनएसयूआई का आरोप है कि विश्वविद्यालय की मिलीभगत के चलते जिम्मेदार लोग इस मामले में टालमटोली रवैया अपनाना चाहते हैं। वहीं विश्वविद्यालय जांच आयोग को पूरा सहयोग देने का भरोसा दे रहा है। यह बात और है कि वह अभी तक कमीशन के लिए कार्यालय तक उपलब्ध नहीं करा सके हैं। ऐसे में महीने भर में जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश हो सकेगी इसमें संशय की स्थिति है।