Nov 2, 2025
बालाघाट में महिला नक्सली का आत्मसमर्पण: हॉक फोर्स की सफलता
अमित चौरसिया बालाघाट, 02 नवंबर 2025 – मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र सरकार की मुहिम को मिली एक और बड़ी सफलता। 1 नवंबर को ग्राम चोरिया में हॉक फोर्स के नए कैंप में एक महिला नक्सली ने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना नक्सलियों के सफाए के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार के गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में 2026 तक नक्सलवाद मुक्त भारत के संकल्प को मजबूत करती यह घटना राज्य की पुनर्वास नीति की प्रभावशीलता को रेखांकित करती है।
आत्मसमर्पण का विवरण
1 नवंबर 2025 को सुबह लगभग 4 बजे, हॉक फोर्स के सहायक सेनानी रूपेंद्र धुर्वे के समक्ष 23 वर्षीय महिला नक्सली सुनीता उर्फ सनीला ने आत्मसमर्पण किया। सुनीता, छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के वीरमां गांव की निवासी हैं, जो नक्सली संगठन के एमएमसी (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़) जोन की प्रभारी और सेंट्रल कमेटी सदस्य रामदेर की हथियारबंद गार्ड के रूप में सक्रिय थीं। वे एरिया कमेटी मेंबर (एसीएम) के पद पर थीं। चोरिया के जंगलों में स्थित निर्माणाधीन कैंप पर आत्मसमर्पण करते हुए उन्होंने मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जाहिर की। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण मध्य प्रदेश नक्सली पुनर्वास सह राहत नीति 2023 के तहत पहला मामला है, जो अगस्त 2023 में लागू हुई थी।
पृष्ठभूमि और महत्व
नक्सलवाद से जूझते बालाघाट जिले में हॉक फोर्स की सक्रियता ने नक्सलियों के मनोबल को तोड़ा है। सुनीता पर कुल 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जो उनके महत्व को दर्शाता है। यह आत्मसमर्पण केंद्र सरकार की 'नियाद नेल्ला नर' योजना और राज्य की पुनर्वास नीति का परिणाम है, जिसमें आत्मसमर्पण करने वालों को 33 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। सीएम मोहन यादव ने हाल ही में बालाघाट को नक्सल प्रभावित जिले की श्रेणी से मुक्त घोषित किया था, जो अब साकार हो रहा है। पूछताछ में सुनीता ने संगठन की आंतरिक कलह और सरकारी योजनाओं से प्रेरित होने की बात कही। इससे अन्य नक्सलियों के आत्मसमर्पण की उम्मीद बढ़ गई है।
भविष्य की दिशा
यह घटना 2026 तक नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य को गति देगी। हॉक फोर्स की विश्वसनीयता बढ़ी है, और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान तेज हो गए हैं। सुनीता को पुनर्वास के लिए भोपाल ले जाया गया है, जहां उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आत्मसमर्पण से नक्सली संगठनों का नेटवर्क कमजोर होगा। बालाघाट अब विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां जनभागीदारी से शांति स्थापित हो रही है।








