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SCST स्कॉलरशिप घोटाले को कमलनाथ सरकार ने लिया रडार पर

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Aug 19, 2019

विनोद शर्मा : मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के समय में SCST स्कॉलरशिप घोटाले को अब कमलनाथ सरकार ने अपनी रड़ार पर ले लिया है। सरकार ने ग्वालियर चंबल संभाग में हुए घोटाले में अब तक 8 निजी कॉलेजों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। तो वहीं 49 निजी कॉलेजों को अपनी जांच में ले लिया है। ब्हिस्लि ब्लोअर की माने तो ये शिक्षा जगत स्कॉलरशिप के नाम पर अब तक सबसे बड़ा घोटला है। जिसमें निजी कॉलेजों ने एक छात्र के नाम से 3 से 4 बार स्कॉलरशिप निकाली है। 

प्रदेश भर के प्राइवेट कॉलेजों में एक छात्र के नाम पर कई कॉलेजों में स्कॉलरशिप निकालने की शिकायतें हुई थीं। शिकायतों के बाद ईओडब्ल्यू ने प्रारंभिक जांच की और सुबूत मिलने के बाद 8 प्राइवेट कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। शुरुआती पड़ताल में ईओडब्ल्यू अफसरों ने सूचियों का मिलान किया तो पता चला कि लगभग 8 हजार छात्रों के नाम पर फर्जी तरीके से स्कॉलरशिप निकाली गई है। इसके बाद इन 8 हजार छात्रों के नाम-पते तलाश कर छात्रों के बयान लेने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। अब ईओडब्लू ने नए सिर से 49 और निजी कॉलेजों को इसमें शामिल कर लिया है।

स्कॉलरशिप घोटले में अब तक पूरे आंकड़ों में 20 प्रतिशत छात्र ही मिल पाए हैं। जिनके नाम-पते स्कॉलरशिप निकालने के दौरान दर्ज किए गए थे। इन छात्रों ने भी अफसरों के सामने यही कहा है कि उनसे तो सिर्फ दस्तावेज लिए गए थे। इसके बाद क्या हुआ उन्हें पता ही नहीं है। ऐसे में इस घोटाले को उजागर करने वाले व्हिसिल ब्लोअर कह रहे है। अब उन्हें कमलनाथ सरकार से उम्मीद है कि वही इन घोटालेबाजों को सलाखों के पीछे पहुचाएंगे।  

अभी तक क्या हुआ-

· एक छात्र के आधे-अधूरे नाम दर्शा कर 3-4 कॉलेजों में एडमिशन दिखाया और स्कॉलरशिप निकाल ली। 

· 2007 से 2015 तक SCST के छात्र-छात्राओं के नाम पर निकली गयी राशि। 

· 8 कॉलेजों के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है। 

· 8 हजार छात्रों में से 20% छात्रों के पास ही पहुंच पाई ईओडब्लू। 

· 10 और कॉलेजों के नाम जुड़ सकते हैं एफआईआर में 


स्कॉलरशिप घोटाले में प्राइवेट कॉलेज संचालकों ने छात्रों के साथ ही धोखा कर किया था। इन्होंने एक ही छात्र के आधे-अधूरे नाम दर्शा कर 3-4 कॉलेजों में एडमिशन दिखाया और स्कॉलरशिप निकाल ली। इनमें ट्यूशन फीस लगभग 20 हजार रुपए कॉलेज संचालक के खाते में गई। यह घोटाला सालों से चल रहा था। इसमें घोटाला करने वाले कॉलेजों ने छात्रों के दस्तावेज अपने कॉलेज में जमा कराए और इनका उपयोग दूसरे कॉलेजों का छात्र बताकर स्कॉलरशिप निकालने में भी किया। SCST के छात्र-छात्राओं के नाम पर स्कॉलरशिप घोटाले का काम साल 2007 से 2015 से लगातार जारी था। लेकिन ये मामला उस समय समाने आया है, जब हजारों छात्रों के नाम से छात्रवृति का आहरण तो किया। लेकिन छात्रों को छात्रवृति के नाम पर एक रूपया भी उन्हे नही मिला। फिलहाल कमलनाथ सरकार में फिर से इस घोटाले की EOW ने परते उदेड़ना शुरू कर दी है। जिसमें ये साफ जाहिर हो रहा है, कॉलेज संचालकों ने पूरी प्लांनिग के तहत स्कॉलरशिप फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। क्योंकि वो उन छात्र-छात्राओं के पास भी नही पहुंच पा रहे है, जिनके नाम से स्कॉलरशिप निकाली गयी है।