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यूपी में 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे योगी आदित्यनाथ

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Mar 19, 2017

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद योगी आदित्यनाथ आज उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. उनके साथ केशव मौर्य और दिनेश शर्मा उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. योगी आदित्यनाथ सुबह-सुबह शपथ ग्रहण समारोह स्थल लखनऊ के स्मृतिवन पर पहुंचे और जायजा लिया. सूत्रों के मुताबिक- इनके अलावा 44 मंत्री भी शपथ लेंगे, जिनमें राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा, सिद्धार्थ नाथ सिंह जैसे कई नाम संभावित हैं. दोपहर 2:15 बजे होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत बीजेपी के कई बड़े नेता और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे. इससे पहले शनिवार को पूरे दिन के नाटकीय घटनाक्रम के बाद शाम को बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लगी, जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया.

सूत्रों के मुताबिक- शपथ लेने वाले संभावित मंत्री
चेतन चौहान- कैबिनेट मंत्री
लक्ष्मी नारायण चौधरी- कैबिनेट मंत्री
श्रीकांत शर्मा- कैबिनेट मंत्री
एसपी सिंह बघेल- कैबिनेट मंत्री
राजेश अग्रवाल- कैबिनेट मंत्री
धर्मपाल सिंह- कैबिनेट मंत्री
सुरेश खन्ना- कैबिनेट मंत्री
आशुतोष टंडन- कैबिनेट मंत्री
ब्रजेश पाठक- कैबिनेट मंत्री
रीता बहुगुणा जोशी- कैबिनेट मंत्री
मुकुट बिहारी वर्मा- कैबिनेट मंत्री
रमापति शास्त्री- कैबिनेट मंत्री
सतीश महाना- कैबिनेट मंत्री
सत्यदेव पचौरी- कैबिनेट मंत्री
जयप्रकाश सिंह- कैबिनेट मंत्री
स्वामी प्रसाद मौर्य- कैबिनेट मंत्री
सूर्य प्रताप साही- कैबिनेट मंत्री
दारा सिंह चौहान- कैबिनेट मंत्री
राजेंद्र प्रताप सिंह (मोती सिंह)- कैबिनेट मंत्री
सिद्धार्थ नाथ सिंह- कैबिनेट मंत्री
नंदकुमार नंदी- कैबिनेट मंत्री
ओमप्रकाश राजभर- कैबिनेट मंत्री

गुलाबो देवी- राज्य मंत्री
बलदेव ओलख- राज्य मंत्री
अतुल गर्ग- राज्य मंत्री
मोहसिन रज़ा- राज्य मंत्री
अर्चना पांडे- राज्य मंत्री
रणवेंद्र प्रताप सिंह (धुन्नी सिंह)- राज्य मंत्री
मन्नू कोरी- राज्य मंत्री
ज्ञानेन्द्र सिंह- राज्य मंत्री
जयप्रकाश निषाद- राज्य मंत्री
गिरिश यादव- राज्य मंत्री
संगीता बलवंत- राज्य मंत्री
नीलकंठ तिवारी- राज्य मंत्री
जयकुमार सिंह जैकी- राज्य मंत्री
सुरेश पासी- राज्य मंत्री
संदीप सिंह- राज्य मंत्री

भूपेंद्र सिंह चौधरी- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
धर्म सिंह सैनी- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
सुरेश राणा- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
महेन्द्र सिंह- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
स्वाति सिंह- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
अनुपमा जायसवाल- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
उपेंद्र तिवारी- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
अनिल राजभर- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
स्वतंत्र देव सिंह- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

 

 

आदित्यनाथ को यूपी का सीएम बनाया गया है उससे पहले पूरा सस्पेंस बरकरार रहा. दोपहर तक मनोज सिन्हा का नाम सबसे आगे था, लेकिन गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ को चार्टर्ड फ्लाइट से दिल्ली बुलाए जाने के बाद सब बदलने लगा. गोरखपुर से दिल्ली आने के बाद जब योगी लखनऊ जा रहे थे तब सीधे कुछ भी नहीं बोले यहां तक कि लखनऊ जाने से पहले नए उप मुख्यमंत्री भी सवालों को गोलमोल घुमाते रहे. लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे रेस में मनोज सिन्हा पीछे जाते रहे और योगी आदित्यनाथ आगे. उधर, बीजेपी के लखनऊ दफ़्तर के सामने योगी जी के समर्थक माहौल भी बनाते रहे. सस्पेंस बढ़ता रहता है. मौर्य और योगी साथ लखनऊ पहुंचते हैं. वेंकैया से मीटिंग होती है और फिर सस्पेंस से पर्दा उठता है. योगी आदित्यनाथ इस फिल्म के हीरो बनकर सामने आते हैं. (योगी आदित्यनाथ का असली नाम है अजय सिंह नेगी, जानें इनके जीवन से जुड़ी अनसुनी बातें)

अबकी बार योगी सरकार (योगी आदित्यनाथ के पक्ष में रही ये 5 बातें, जिसके चलते वे बने यूपी के मुख्यमंत्री)
योगी का असली नाम अजयमोहन सिंह बिष्ट है
योगी उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में जन्में
राजपूत परिवार से है योगी का ताल्लुक
गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं
गोरखपुर से 5 बार से सांसद
1998 में पहली बार सांसद बने
हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक

योगी आदित्‍यनाथ को उत्‍तर प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बनाने का फैसला उतना सहजता से नहीं हुआ जितना सतह पर दिखाई दे रहा है. संभवतया इसीलिए नतीजे आने के बाद योगी आदित्‍यनाथ की ताजपोशी का फैसला लेने में बीजेपी आलाकमान को एक सप्‍ताह का वक्‍त लगा. सूत्रों के मुताबिक योगी आदित्‍यनाथ इस पद के लिए आलाकमान की पहली पसंद नहीं थे. इससे पहले नरेंद्र मोदी और अमित शाह केंद्र सरकार में मंत्री मनोज सिन्‍हा को मुख्‍यमंत्री बनाने का मन बना चुके थे और वह इस रेस में अंतिम क्षणों तक सबसे आगे भी दिखाई दे रहे थे लेकिन माना जा रहा है कि संघ इस नाम पर मुहर लगाने से हिचक रहा था. सूत्रों के मुताबिक संघ बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद यूपी में एक कद्दावर राजनीतिक शख्सियत के हाथों में कमान देखना चाहता था और इस वजह से सिन्‍हा के नाम पर सहमति नहीं बन पाई.