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अयोध्या राम मंदिर मसले पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं

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Mar 21, 2017

अयोध्य राम मंदिर के मसले को कोर्ट के बाहर आपसी बातचीत से सुलझाए जाने के मसले पर तमाम पक्षों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ पक्षों ने कोर्ट के रुख का स्वागत किया है, तो कुछ का मानना है कि बातचीत का रास्ता पहले भी फेल हो चुका है और इसका फैसला अब अदालत ही कर सकती है। राजनीतिक दलों की बात करें तो सत्ताधारी बीजेपी ने जहां कोर्ट की टिप्पणी का समर्थन किया है, वहीं AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि अगर इस मामले की रोज सुनवाई हो तो फैसला हो सकता है।

राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रहे संत राम विलास वेदांती ने कहा है कि वह इस मसले को कोर्ट के बाहर सुलझाने के पक्ष में हैं और इसके लिए तैयार भी हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विवाद का हल आपसी सहमति से ही हो सकता है, कोर्ट का फैसला आने पर कोई एक पक्ष दुखी होगा जो देश और समाज के हित में नहीं होगा। उधर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कोर्ट के सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट के बाहर फैसला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि वह आस्था को लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे और अदालत से ही फैसला संभव है।

बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी ने कोर्ट की टिप्पणी से असहमति जताई है। कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने साफ कहा है कि बातचीत का रास्ता पहले भी फेल हो चुका है, कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना इसका फैसला मुमकिन नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी कोर्ट की सलाह को एक तरह से खारिज करते हुए कहा कि यह मालिकाना हक का मामला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'कृपया याद कीजिए बाबरी मस्जिद मुद्दा मालिकाना हक का मामला है, जिसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गलती से भागीदारी मामला मानकर फैसला सुनाया था, इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई है।' हालांकि जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने कोर्ट ने सुझाव का स्वागत किया है। 

हालांकि दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि इस मामले को अदालत से बाहर हल करने का प्रयास किया जाना चाहिए। बुखारी ने कहा, 'हम देश की शीर्ष अदालत की टिप्पणी का स्वागत करते हैं। मामले को अदालत से बाहर हल करने की कोशिश होनी चाहिए। दोनों पक्ष बैठकर बातचीत करें और मामले को हल करने की कोशिश करें।'

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए बीजेपी ने कहा है कि पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समर्थन करती है और इस बात पर जोर देती है कि यह मैत्रीपूर्ण ढंग से सभी पक्षों की सहमति से हो। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बीजेपी राम मंदिर के निर्माण का वैचारिक रूप से समर्थन करती है। विजयवर्गीय ने कहा, 'हमारा मानना है कि इस बारे में सभी पक्ष मिलकर इसे सुलझायें। अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय का कहना बिल्कुल ठीक है।' केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता पी.पी चौधरी ने कहा, 'शीर्ष न्यायालय द्वारा उठाया गया यह एक अच्छा कदम है। बीजेपी भी बातचीत के जरिए मामला सुलझाना चाहती है।' केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने भी कोर्ट की टिप्पणी को 'शानदार' बताते हुए इसका स्वागत किया है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मुद्दे पर अहम टिप्पणी की है। इस मुद्दे पर कोर्ट में केस लड़ रहे बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी से कोर्ट ने कहा है कि वह कोर्ट के बाहर इस मुद्दे को बातचीत से हल करने की कोशिश करें। इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर कोर्ट भी इस मामले में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है। वहीं, सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस रुख का स्वागत किया है।