Loading...
अभी-अभी:

राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से मांगी मदद, भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टेबलेट्स मुहैया कराने का किया अनुरोध

image

Apr 5, 2020

नई दिल्ली: पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वारयस की चपेट में हैं। वहीं दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश कह जाने वाला अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना भी बुरी तरह से कोरोना से जूझ रहा है। यहां पर अब तक कोरोना से करीब 3 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि अमेरिका में इस जानलेवा वायरस से 7 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से मदद की गुहार लगाई है। शनिवार शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत कर कोरोना से लड़ने में मदद करने के लिए कहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टेबलेट्स मुहैया कराने का अनुरोध किया है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से बताया कि मलेरिया-ड्रग हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन से कोरोना के मरीजों के इलाज में अच्छे परिणाम सामने आए हैं।

भारत में बड़े स्तर पर होता है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का उत्पादन

भारत में भारी मात्रा में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का उत्पादन किया जाता है। हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन मलेरिया की बीमारी से लड़ने में काफी मददगार है। भारत में हर साल बड़ी तादाद में लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। इसलिए यहां की दवा कंपनियां भारी मात्रा में इस दवा का उत्पादन करती हैं। यहीं दवा अमेरिका में कोरोना के मरीजों को दी जा रही है और कहा जा रहा है कि यह दवा बीमारी से लड़ने में मददगार भी साबित हो रही है। इसी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति में पीएम मोदी से इस दवा को मुहैया कराने की मदद मांगी है। हालांकि मौजूदा समय में भारत में इस दवा का उत्पादन थोड़ा कम हो गया है।

उत्पादन में भारत की मदद करते हैं ब्राजील और चीन

बता दें कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का उत्पादन करने में ब्राजील और चीन भी भारत की मदद करते हैं। इसलिए पीएम मोदी ने शनिवार को ही राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत करने के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो से बातचीत की। जेयर बोलसोनारो ने ये भरोसा दिलाया है कि दवा के उत्पाद में कोई कमी नहीं आएगी। भारत सरकार ने पिछले दिनों ही इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। भारत सरकार का कहना है कि इस दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से इसके निर्यात पर रोक लगाना जरूरी है।