Loading...
अभी-अभी:

मंदिर में कोई जगह नहीं : वाराणसी के मंदिरों से साई बाबा की मूर्तियां हटाई

image

Oct 3, 2024

अब तक शहर के 14 मंदिरों ने साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी हैं 

Uttar Pradesh : वाराणसी में कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने को लेकर विवाद छिड़ गया है.  यह विवाद 'सनातन रक्षक दल' के नेतृत्व में चलाए गए अभियान के बाद शुरू हुआ है.  इस समूह ने साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने का आह्वान करते हुए तर्क दिया है कि हिंदू मंदिरों में संत के लिए कोई स्थान नहीं है. 

अब तक शहर के 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियाँ हटाई जा चुकी हैं. 

इस अभियान ने मंगलवार, 1 अक्टूबर को जोर पकड़ा, जब बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की मूर्ति हटाई गई. मंदिर के मुख्य पुजारी रम्मू गुरु ने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा: "साईं बाबा की पूजा उचित ज्ञान के बिना की जा रही थी, जो शास्त्रों के अनुसार निषिद्ध है."

अन्नपूर्णा मंदिर में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई, जहाँ मुख्य पुजारी शंकर पुरी ने टिप्पणी की, "शास्त्रों में साईं बाबा की पूजा का कोई उल्लेख नहीं है."

सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि अभियान का उद्देश्य वाराणसी की पवित्रता को बनाए रखना है, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव की भक्ति के लिए प्रसिद्ध शहर है.  उन्होंने दावा किया, "काशी में केवल सर्वोच्च देवता भगवान शिव की पूजा होनी चाहिए.  साईं बाबा की मूर्तियों को पहले ही 10 मंदिरों से हटा दिया गया है, और आने वाले दिनों में अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर मंदिरों सहित और भी कई मंदिरों से हटाया जाएगा."

शर्मा ने कहा, "हिंदू धर्म सभी मान्यताओं को समाहित करता है, यही वजह है कि लोग शिरडी जाते हैं. साईं बाबा के प्रति कोई अनादर नहीं है, लेकिन उनके लिए एक अलग स्थान होना चाहिए."

हालांकि, इस अभियान पर साईं बाबा के भक्तों और मंदिर अधिकारियों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है. वाराणसी के सिगरा इलाके में स्थित साईं मंदिर के पुजारी समर घोष ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा, "ऐसी हरकतें सही नहीं हैं. इनसे लोगों की आस्था को ठेस पहुंचेगी और समाज में मतभेद फैलेंगे."

घोष ने कहा कि साईं मंदिर रोजाना सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है और हर गुरुवार को करीब 4,000 से 5,000 श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए मंदिर आते हैं. 

इस विवाद पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता मारूफ खान ने इस अभियान की निंदा करते हुए कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और उसका समर्थन करने वालों ने धर्म को राजनीतिक युद्ध के मैदान में बदल दिया है.  सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जो सभी मान्यताओं को अपने में समाहित करता है, जिसमें अन्य धर्मों की मान्यताएं भी शामिल हैं."

साईं बाबा की सार्वभौमिक आस्था की विरासत

साईं बाबा, एक पूजनीय आध्यात्मिक संत हैं, जो धार्मिक सीमाओं से परे प्रेम, क्षमा और दान की अपनी शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं. शिरडी में श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, जो साईं बाबा की विरासत की देखरेख करता है, उन्हें भारत के सबसे महान संतों में से एक के रूप में वर्णित करता है, जो सभी धर्मों में सार्वभौमिक प्रेम और एकता के सिद्धांतों को मूर्त रूप देते हैं. 

साईं बाबा की शिक्षाओं ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी रूप में आस्था वैध है, चाहे वह किसी भी धार्मिक संबद्धता से संबंधित हो.  उनकी विरासत लाखों लोगों को प्रेरित करती है, विभिन्न पृष्ठभूमियों से भक्त उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए एक साथ आते हैं. 

Report By:
Devashish Upadhyay.