Loading...
अभी-अभी:

शपथ ग्रहण समारोह में उमा का नहीं होना, निहितार्थ तो निकलेंगे ही

image

Sep 3, 2017

नईदिल्ली। मध्यप्रदेश की फायरब्रैण्ड नेता और वर्तमान में उत्तरप्रदेश से सांसद उमा भारती आज राष्ट्रपति भवन में हुए मोदी मंत्रिमंडल के तीसरे बड़े विस्तार और फेरबदल के शपथ ग्रहण समारोह से नदारद रहीं। इसके कई सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं.. लेकिन कहा जा रहा है कि वह नेतृत्व से एक बार फिर नाराज हैं।

आज मोदी कैबिनेट के नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। केंद्रीय मंत्री उमा भारती इस शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुईं। वह अभी अपने संसदीय क्षेत्र झांसी-ललितपुर में हैं। माना जा रहा है कि वो नाराज हैं, जिस कारण वो शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुई हैं। इससे पहले उनके इस्तीफे की भी खबर आई थी, जिस पर उन्होंने ट्वीट कर जवाब दिया था... मेरे इस्तीफे की खबरों पर मीडिया ने प्रतिक्रिया पूछी, इस पर मैंने कहा कि मैंने ये सवाल सुना ही नहीं, न सुनूंगी, न जवाब दूंगी। इस बारे में या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह या अध्यक्ष जी जिसको नामित करे, वही बोल सकते हैं। मेरा इस पर बोलने का अधिकार नहीं है।

खबरें ये भी हैं कि उनका मंत्रालय बदला जा सकता है। उमा भारती अभी जल संसाधन एवं गंगा सरंक्षण मंत्री हैं। मंत्रालय सम्हालते वक्त उन्होने गंगा सफाई को लेकर बड़ी—बड़ी बातें की थीं, लेकिप तीन साल में वह उन पर खरी नहीं उतरी, ​इसलिए जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी उनसे नाराज हैं। गंगा सफाई को लेकर पीएम मोदी उमा के काम से उतना खुश नहीं हैं। 

2014 में जब पीएम वाराणसी चुनाव लड़ने पहुंचे थे, तो उन्होंने कहा था कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। सरकार बनने के बाद उन्होंने इसके लिए नया मंत्रालय भी बनाया, उमा भारती मंत्री बनी तो उन्होंने कहा कि वह गंगा को साफ करके ही मानेंगी। वरना 'जल समाधि' ले लेंगी, लेकिन पिछले तीन साल में गंगा सफाई को लेकर कोई बड़ा असर नहीं दिखा है, कोर्ट और एनजीटी ने भी लगातार सरकार को इस मामले में फटकार लगाई है। उमा भारती ने हर बार कहा है कि 2018 तक गंगा सफाई के पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा। ऐसे में जून 2017 के बाद गंगा साफ दिखने भी लगेगी। 2018 से दूसरे चरण का काम शुरू होना है, यह काम 2020 तक पूरा होगा।

'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही इसके बजट और खर्च की राशि में काफी अंतर रहा है। 2014-15 में 2137 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया और राशि आवंटित की गई 2053 करोड़ रुपये लेकिन खर्च सिर्फ 326 करोड़ रुपये ही हुए। 2015-16 में 1650 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई और खर्च होने से 18 करोड़ रुपये बच गए। इस साल 2500 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, लेकिन खर्च का हिसाब अब तक नहीं मिल पाया है।