Oct 24, 2018
शरद पूर्णिमा हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है शरद पूर्णिमा के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखती हैं इस पूर्णिमा की रात 12 बजे के बाद खुले आसमान में रखी खीर को खाने का रिवाज है इसे प्रसाद समझकर घर के सभी सदस्यों को खिलाया जाता है मान्यता है कि इस दिन रात में आसमान से अमृत बरसता है इसीलिए बाहर खीर को रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा की ऐसी है मान्यताएं
- शरद पूर्णिमा को लेकर श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा गया है कि इस पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने ऐसी बांसुरी बजाई थी कि सारी गोपियां उनकी ओर खीचीं चली आईं शरद पूर्णिमा की इस रात को 'महारास' या 'रास पूर्णिमा' कहा जाता है मान्यता है कि इस रात हर गोपी के लिए भगवान कृष्ण ने एक-एक कृष्ण बनाए और पूरी रात यही कृष्ण और गोपियां नाचते रहे, जिसे महरास कहा गया इस महारास को लेकर यह भी कहा जाता है कि कृष्ण ने अपनी शक्ति से शरद पूर्णिमा की रात को भगवान ब्रह्मा की एक रात जितना लंबा कर दिया ब्रह्मा की एक रात मनुष्यों के करोड़ों रातों के बराबर होती है।
- शरद पूर्णिमा को लेकर एक और मान्यता के मुताबिक इस रात धन की लक्ष्मी ने आकाश में विचरण करते हुए कहा था कि 'को जाग्रति'. संस्कृत में 'को जाग्रति' का अर्थ है 'कौन जगा हुआ है' ऐसा माना जाता है कि जो भी शरद पूर्णिमा के दिन और रात को जगा रहता है माता लक्ष्मी उनपर अपनी खास कृपा बरसाती हैं इस मान्यता के चलते ही शरद पूर्णिमा को 'कोजागर पूर्णिमा' भी कहा जाता है।
- इस पूर्णिमा को 'कोजागरी पूर्णिमा' भी कहते हैं कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन भारत के कई हिस्सों में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है।
- शरद पूर्णिमा के दिन कुवांरी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं खासकर ओडिशा में शरद पूर्णिमा को 'कुमार पूर्णिमा' कहते हैं इस दिन कुवांरी लड़कियां भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं और शाम को चांद निकलने के बाद व्रत खोलती है।
- शरद पूर्णिमा की इन मान्यताओं के अलावा इस रात बनाई जाने वाली खीर से भी कई बातें जुड़ी हैं माना जाता है इस रात की बनी खीर को रात 12 बजे तक खुले आसमान में रखने के बाद खाने से चर्म रोग, अस्थमा, दिल की बीमारियां, फेफड़ों की बीमारियां और आंखों की रोशनी से जुड़ी परेशानियों में लाभ होता है।