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30 मई को पड़ रही है अचला एकादशी, जाने इसकी महिमा

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May 29, 2019

आप सभी को बता दें कि इस बार गुरुवार, 30 मई को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को अपरा और अचला एकादशी के नाम से भी पुकारा जाता है। इस व्रत की कथा सालों से प्रचलित है। आइये जानते हैं कि वो कथा क्या है..

अचला एकादशी व्रत की कथा

पुराने समय में महिध्वज नाम का राजा था। राजा का छोटा भाई ब्रजध्वज अन्यायी, अधर्मी और क्रूर था। वह अपने बड़े भाई महिध्वज को अपना दुश्मन समझता था। एक दिन मौका देखकर ब्रजध्वज ने अपने बड़े भाई की हत्या कर दी और उसके मृत शरीर को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दिया। इसके बाद राजा की आत्मा उस पीपल में वास करने लगी। राजा की आत्मा वहां से निकलने वाले लोगों को सताने लगी। एक दिन धौम्य ऋषि उस पीपल वृक्ष के नीचे से निकले। उन्होंने तपोबल से राजा के साथ हुए अन्याय को समझ लिया।

एकादशी पर भगवान को पूजा में तिल अर्पित करना चाहिए

ऋषि ने राजा की आत्मा को पीपल के वृक्ष से हटाकर परलोक विद्या का उपदेश दिया। साथ ही प्रेत योनि से छुटकारा पाने के लिए अचला एकादशी का व्रत करने को कहा। अचला एकादशी व्रत रखने से राजा की आत्मा दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चली गई। कहा जाता है तभी से इस व्रत को रखने का विधान तय हो गया और आज तक लोग इस व्रत को बहुत विधि विधान से रखते हैं। कहते हैं एकादशी पर भगवान को पूजा में चावल के स्थान पर तिल अर्पित करना चाहिए और आलस्य त्याग कर अधिक से अधिक समय भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसी के साथ तुलसी के साथ भगवान को भोग लगाना चाहिए और रात में जागरण करते हुए भजन कर, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।