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नवरात्री के पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, भक्तों पर करती हैं विशेष कृपा

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Apr 10, 2019

आज नवरात्री का पांचवा दिन है। ऐसे में आज के दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होती है जो सभी बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं। आइए जानते हैं आज माँ स्कंदमाता की वह कथा जो पुराणों में वर्णित है। दुर्गा पूजा के पांचवे दिन देवताओं के सेनापति कुमार कार्तिकेय की माता की पूजा होती है। कुमार कार्तिकेय को ग्रंथों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार के नाम से पुकारा गया है। माता इस रूप में पूर्णत: ममता लुटाती हुई नज़र आती हैं। माता का पांचवा रूप शुभ्र अर्थात श्वेत है।

मां के इस रूप की जो करता है पूजा, पाता है मां का भरपूर प्यार-दुलार

जब अत्याचारी दानवों का अत्याचार बढ़ता है तब माता संत जनों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का अंत करती हैं। देवी स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं, माता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक भुजा में भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं। मां का चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे है। देवी स्कन्द माता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं। इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। यह पर्वत राज की पुत्री होने से पार्वती कहलाती हैं। महादेव की वामिनी यानी पत्नी होने से माहेश्वरी कहलाती हैं और अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजी जाती हैं। माता को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है। अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है। जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते हैं मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। कहा जाता है नवरात्रि के पंचम दिन मां स्कंदमाता की पूजा के दौरान मंत्र से उनकी साधना करना शुभ होता है।