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रावनवाड़ा के रावनदेव मंदिर में होती है रावण की पूजा, मांगी मनोकामना होती है पूर्ण

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Oct 19, 2018

अनिल डहरिया - असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा जहाँ पूरे देश मे रावण दहन कर मनाया जाता है, वहीं छिन्दवाड़ा जिले के परासिया में आदिवासी समाज के द्वारा वर्षो पूर्व स्थापित रावण देव का मन्दिर में रावण की पूजा अर्चना की जाती है। परासिया से लगभग 10 किलोमीटर दूर पूर्व में बस्ती में रहने वाले  आदिवासियो ने रावण को आराध्यदेव मानते हुए बस्ती का नाम रावनवाड़ा रखा था, जो आज भी प्रचलित नाम से जाना जाता है। 

कहा जाता है कि इस मंदिर में मांगी हर मनोकामना पूर्ण होती है लोगो का यह भी मानना है कि गाय, बैल, बकरी या कोई भी पशु अपनी राह भूल जाये और पशुओं के मालिक मन्दिर में नारियल की भेंट चढ़ाकर पशुओं के मिलने की कामना करता है, तो रावण देव बाबा पशुओं को धर तक पहुचाने में सहयोग प्रादान करते है और दो तीन दिन के भीतर पशु धर पहुँच जाता है।

कहा यह भी जाता है कि मन्दिर में सन्तान की कामना के लिए जो भी भक्त नारियल की भेंट चढ़ाकर मनोकामना करता है, तो सन्तान की प्राप्ति भी रावनदेव पूरी करते है इसी आस्था और विश्वास के साथ लोग यहाँ पहुंचते है और पूजा अर्चना कर मनोकामना मांगते है, और मनोकामना अवश्य पूरी होती है हर वर्ष दिवाली ग्यारस में मड़ई मेला का आयोजन भी होता है।