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मेरा जीवन अंतरिक्ष के लिए है, में इसी के लिए मरूंगी:कल्पना चावला

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Feb 1, 2018

आज ही के दिन यानि 1 फरवरी 2003 के दिन हमारे भारत की बेटी कल्पना चावला अपने 6 अन्य साथियों के साथ अंतरिक्ष से धरती पर लौट रही थी। उनका अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 धरती से करीब दो लाख फीट की ऊंचाई पर था और यान की रफ्तार थी करीब 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा। वह धरती से सिर्फ 16 मिनट कि दूरी पर थी। इस बीच नासा का इस यान से संपर्क टूट गया था कुछ किया जा सकता इस से पहले यान का मलबा 160 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैल गया। हादसे में कल्पना चावला और उनके 7 साथियो की मौत हो गई। कल्पना के सपनों का दौर भारत की इस बेटी का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। एक ऐसी लड़की जो हरियाणा के पारंपरिक समाज में पली बड़ी इस लड़की के ख्वाब अकल्पनीय थे। बचपन से ही आसमान छूने के इरादे रखने वाली कल्पना चावला ने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया। उस समय तक अंतरिक्ष विज्ञान में भारत काफी पीछे था इसके चलते कल्पना का नासा जाना जरूरी था। 1982 में वे अमेरिका चली गईं और एम.टेक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद साल 1988 में कल्पना चावला ने नासा ज्वॉइन किया। कल्पना ने ली अमेरिका की नागरिकता एम.टेक की पढ़ाई के दौरान ही कल्पना ने अपने प्रेमी जीन-पियरे हैरिसन से शादी कर ली। इसी दौरान उन्हें 1991 में अमेरिका की नागरिकता भी मिल गई। इस तरह भारत की बेटी अमेरिका की होकर रह गई, लेकिन उनका भारत से संबंध हमेशा बना रहा। मार्च 1995 में कल्पना चावला को उनकी पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुन लिया गया। 6 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। साल 2000 में कल्पना का दूसरा अंतरिक्ष मिशन उनकी जिंदगी का आखिरी मिशन भी साबित हुआ। कल्पना के अंतिम क्षण आखिरकार 16 जनवरी 2003 को कल्पना सहित 7 यात्रियों ने कोलंबिया STS-107 से उड़ान भरी। अंतरिक्ष में 16 दिन बिताने के बाद कल्पना अपने साथियों रिक हसबैंड, इसराइली वैज्ञानिक आइलन रैमन, विलियम मैकोल, लॉरेल क्लार्क, आइलन रैमन, डेविड ब्राउन और माइकल एंडरसन के साथ इस भीषण हादसे का शिकार हुई। कहा जाता है कि कल्पना अक्सर कहा करती थीं कि मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी। आखिरकार यह बात उनके लिए सच भी साबित हो गई। सिर्फ 41 साल की उम्र में उन्होंने अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की, जिससे लौटते वक्त वह एक हादसे का शिकार हो गईं। कल्पना चावला बनी मिशाल मगर अब कल्पना चावला मिसाल बन गई थीं। उनका नाम लेकर लोग अपनी बेटियों पर गर्व करने लगे। वह भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। आज पूरी दुनिया में कल्पना चावला सहित उन सभी सात अंतरिक्षयात्रियों की पुण्यतिथि मनायी जा रही है।