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एक महीने के शोध में हुआ दावा, 4-6 घंटों में ही कोरोना के जांच का देगी परिणाम

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Mar 30, 2020

वाराणसीः​​ दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है। फिलहाल अभी तक इसका कोई इलाज नहीं मिल सका है। दूसरी बड़ी समस्या है कि भारत में इसकी जांच रिपोर्ट आने में एक-दिन से समय लग जा रहा है। वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिक्युलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्‍स की शोध छात्राओं और एसोसिएट प्रोफेसरों ने मिलकर एक नई तकनीक खोज करने का दावा किया है। यह तकनीक सस्ती, सटीक और 4-6 घंटों में ही कोरोना के जांच का परिणाम देने में सक्षम होगी। करीब एक महीने की मेहनत के बाद विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गीता राय और उनकी टीम में शामिल शोध छात्रा डॉली दास, खुशबू प्रिया और हीरल ठक्कर इस नई तकनीक की खोज का दावा किया है।

डॉक्टर बोले, यह सिर्फ कोरोना को टारगेट करती है

इस बारे में जानकारी देते हुए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गीता राय ने बताया कि उनकी तकनीक आरटी-पीसीआर पर काम करती है। इस सिद्धांत पर अभी देश में कोई और तकनीक कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए नहीं है। यह एक ऐसे अनोखे प्रोटीन सेक्वेंस को टारगेट करती है। यह प्रोटीन सिर्फ कोरोना वायरस में मौजूद है और किसी वायरल स्ट्रेन में मौजूद नहीं है। इस टेक्नोलॉजी पर एक पेटेंट भी फाइल किया गया है। भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा किए पूर्व निरीक्षण में यह पाया गया कि देश में इस सिद्धांत पर RT-PCR आधारित कोई किट नहीं है। डॉक्टर गीता राय ने दावा किया कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की बढ़ती स्थिति के लिए सटीक, तीव्र और सस्ते किट की कमी को ये परीक्षण सभी मापदंडों को पूरा कर सकता है।

अभी तक की कोई किट 100% सटीक नहीं

इस मामले में आगे मार्गदर्शन और समर्थन के लिए CDSCO यानी सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन और ICMR यानी इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च से संपर्क किया है। डॉक्टर गीता राय ने बताया कि अभी जिन किटों से जांच की जा रही है वे 100 प्रतिशत सटीक नहीं हैं। इसीलिए कोरोना के अलावा और भी किसी तरह के वायरल इंफेक्शन वालों को भी मौजूदा जांच किट पॉजिटिव बता दे रही है। अभी भी इस बात की जद्दोजहद है कि स्पेसिफिक किट कोई बाजार में आए। इसी वजह से हमने स्पेसिफिक किट बनाने की सोची जो कोरोना प्रोटीन सेक्वेंस को टारगेट करने वाला है। आगे बताया कि उनकी तकनीक छोटी पीसीआर 2-4 लाख की मशीन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जबकि महंगी लगभग रियल टाइम पीसीआर मशीन 12-20 लाख की आती है। छोटी, सस्ती पीसीआर मशीन को डायग्नोस्टिक सेंटर भी ले सकते हैं। इसके चलते मरीज के ऊपर जांच का भार भी नहीं पड़ेगा।

4-6 घंटे में आ जाएगी रिपोर्ट

डॉ. राय ने आगे बताया कि इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने कोविड-19 की जांच को 4 हजार रुपये में निर्धारित किया है। उनकी तकनीक से की गई जांच इसकी एक्यूरेसी से कम ही रहेगी। उन्होंने आगे दावा किया कि उनकी तकनीक से की गई जांच की रिपोर्ट 4-6 घंटे में मिल जाएगी। डॉक्टर ने बताया कि अभी तक उनकी तकनीक से किसी की जांच नहीं हो सकी है क्योंकि उनकी इस तकनीक का सत्यापन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाॅजी पुणे से होना है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ही देश में सारे किटों को अप्रूवल देता आ रहा है। यहां आरएनडी और निर्माण भी होता है।