Loading...
अभी-अभी:

देहरादून में हिमालय संरक्षण पर चिंतन, विवेचन और समाधान कार्यक्रम का समापन

image

Nov 25, 2019

पर्यटन को बढ़ाने के लिए हमें पर्यावरण, हिमालय और गंगा की रक्षा करनी होगी। गंगा की पवित्रता और सुंदरता को बनाने के लिए मिलकर कार्य करना होगा। एक पेड़ काटने पर 50 पौधे लगाने होंगे। यह बात शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने परमार्थ निकेतन में हिमालय परिवार कार्यकारिणी के समापन समारोह के दौरान कही है। रविवार को परमार्थ निकेतन में आयोजित दो दिवसीय हिमालय संरक्षण पर चिंतन, विवेचन और समाधान कार्यक्रम का समापन हो सका है।

बता दें कि इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे पास कोई दूसरा हिमालय और दूसरा ग्रह नहीं है, जहां पर जीवन की संभावनाएं हो। हमें अपने जीवन और पर्यावरण को जीवित रखना है तो अपनी सोच को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरे विश्व में जल, जंगल और जमीन को जो सबसे अधिक प्लास्टिक प्रभावित कर रहा है। प्लास्टिक ने समुद्रों और जंगलों को पाट दिया है। विश्व भर में लगभग 100 मिलियन टन कचरा महासागरों में पहुंच चुका है। स्वामी चिदानंद ने कार्यक्रम के दौरान सभी से हिमालय रूपी धरोहर को सहेजने के लिए साथ आने का आह्वान किया गया है। 

जहां साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हिमालय को संरक्षित करने तथा हिमालय के इको सिस्टम को बनाए रखने के लिए पहाड़ों को स्प्रिरिचुअल हब में विकसित करना होगा। भारत में बहने वाली 11 प्रमुख नदियां हिमालय से ही निकलती हैं। हिमालय भारत के 65 प्रतिशत आबादी की प्यास बुझाने का माध्यम है। हमें यह समझना होगा कि हिमालय है तो हम हैं। हिमालय हमारा रखवाला ही नहीं प्राणदाता और जीवनदाता भी है। इस मौके पर राष्ट्रीय महामंत्री हिमालय परिवार भूपेंद्र कंसल, वंदना पाठक, भुवन भट्ट, राजी सिंह, जय किशन गुप्ता, जयंती ठाकुर, सुमेश लिलौटिया, डॉ. राकेश शर्मा, रवि त्यागी, मुनेश दहिया, राजेश बजाज, दमयंती रावत, सुधा शर्मा, राज शर्मा, अजय वाधवा, मीरा तोंगरिया, पुष्पा राजपूत, अभिषेक मिश्रा आदि उपस्थित थे।