Aug 8, 2017
रायपुर : अगर आप के घरों में भी आरओ (रिवर्स ऑसमॉसिस) मशीन लगा रखी है तो सावधान हो जाइए। ये पानी किसी भी लिहाज से आपके लिए सेफ नहीं है। साफ और शुद्ध पानी का दावा करने वाली कंपनियां आपको गुमराह करके आपसे मोटी रकम वसूल रही हैं, क्योंकि इस आरओ वाटर से शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स फिल्टर होकर बाहर निकल जाता है और ये मशीनें बैक्टीरिया को ही खत्म नहीं करती है बल्कि आपके शरीर के लिए भी हानिकारक है।
डबल्यूएचओ की रिपोर्ट की मानें तो बोतलबंद पानी या आरओ पानी लंबे समय तक उपयोग करने पर आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रिपोर्ट अनुसार जिस आरओ प्लांट का पानी लोग खरीद कर पीते हैं या अपने घरों में मशीनें लगवाई हैं उसका पानी किसी भी हाल से पीने लायक नहीं है।
जानकारों की मानें तो आरओ का पानी एक तरह से स्लो पॉइजन की तरह काम करता है। यही कारण है कि दुनिया के कई देशों में इसके उपयोग पर प्रतिबंध भी लगा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि भले ही इन दिनों आरओ सिस्टम घरों की जरूरत बन गया है।
लेकिन असलियत ये है कि इसका ज्यादा उपयोग नुकसानदायक ही है। इसका सबसे बड़ा कारण तो यह हो जाता है कि आरओ सिस्टम में घुलनशील पदार्थो की मात्रा 30 मिलीग्राम प्रति लीटर होती है, जो बहुत ही कम रहता है। इसे बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
पर्यावरणविद् प्रोफेसर शम्स परवेज का कहना है कि आरओ सिस्टम की वजह से पानी में पाए जाने वाले कैल्शियम, मैग्नीशियम,सोडियम,पोटेशियम आदि पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं। इसी कारण परेशानी आती है। हमें चाहिए कि जब आरओ मशीन लगाया जा रहा तो इंजीनियर को पहले से ही यह बता दें कि मशीन में टीडीएस(टोटल डिजॉल्ट सॉल्ट) 30 मिलीग्राम से बढ़ाकर 100 मिलीग्राम प्रति लीटर कर दें ताकि आरओ का पानी हमें ज्यादा नुकसान न पहुंचाए।
विटामिन डी की होने लगी कमी
इन दिनों चिकित्सकों के पास कम उम्र में ही विटामिन डी की कमी वाले मरीज आ रहे है। विटामिन डी की कमी होने की वजह से लोग ऑस्टियोपीनिया बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। इस रोग से पीड़ित लंबे समय से आरओ पानी का उपयोग कर रहे हैं। - टीडीएस अर्थात टोटल डिसॉल्ड सॉलिड्स(कैल्शियम, पोटेशियम,सोडियम,सल्फेट्स और क्लोराइड्स) इनकी कमी से ये बीमारी हो सकती है-हृदय संबंधी, थकान, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द, ऑस्टियोपोरेसिस