Aug 28, 2024
इन बिंदुओं में ड्यूटी डॉक्टरों के लिए परिवहन, एक राज्य शिकायत समिति, एक पुलिस चौकी, एक बंद परिसर, एक परिचारक नीति, कोई फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी नियम और एक बिस्तर अधिभोग नीति शामिल हैं.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ ने राज्य सरकार को 14 दिन के भीतर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत खाका पेश करने का निर्देश दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने सरकार से जानना चाहा है कि कोलकाता में डॉक्टर बलात्कार और हत्या की घटना के बाद राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों में अब तक उसने कौन से सुरक्षा उपाय लागू किए हैं.
अदालत मंगलवार को यहां आरटीआई कार्यकर्ता अंशुल तिवारी की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या के बाद जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेयूडीए) ने डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए डॉक्टरों की सुरक्षा अधिनियम लागू करने, राज्य के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में पुलिस चौकी स्थापित करने की मांग की.
हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक राज्य सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में जवाब मांगा गया है. इसमें ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों के लिए परिवहन, राज्य शिकायत समिति, पुलिस चौकी, बंद परिसर, परिचारक नीति, फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी न करने का नियम और बिस्तर अधिभोग नीति जैसे बिंदु शामिल हैं.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पहले ही मेडिकल कॉलेजों को उचित सुरक्षा, खासकर महिला गार्ड, सीसीटीवी कैमरा लगाने और परिसर, बेसमेंट, पार्किंग स्थल, सीढ़ियों और इमारतों के शीर्ष पर लाईट की व्यवस्था जैसी पहल करने का निर्देश दिया है. यहां तक कि मेडिकल कॉलेजों ने रात में ठहरने के लिए मरीजों के परिचारकों को पास जारी करने जैसे कदम भी उठाए हैं. गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी), भोपाल ने गुलाबी पास जारी किए हैं और रात में मरीज के साथ केवल एक परिचारक को रहने की अनुमति है.