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वीर शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि आज , जानिए उनसे जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण किस्से

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Apr 3, 2023

मराठों के इतिहास में आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने 3 अप्रैल 1680 को अंतिम सांस ली।  आज का दिन सिर्फ मराठों के लिए ही नहीं बल्कि भारत के इतिहास के लिए भी एक भावनात्मक दिन था । छत्रपति शिवाजी महाराज ने 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ में अंतिम सांस ली। 
शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने अपने भाइयों के साथ तोरणा किले को ले लिया और स्वराज्य तोरण का निर्माण किया। महाराष्ट्र में आदिलशाही, निजामशाही और मुगलों ने महाराष्ट्र में कोहराम मचाया, किसानों को लूटा,  ऐसे समय में इन शक्तियों के विरुद्ध शिवाजी ने एक जीवनदायिनी सावनगदी को चुना और रायरेश्वर के मंदिर में स्वराज्य स्थापित करने का संकल्प लिया। अपने पिता शाहजीराजे और माता जीजामाता के मार्गदर्शन में, शिवाजी ने महाराष्ट्र को गुलामी से बहार निकालने पर काम किया। उन्होंने मवालियों को आदेश दिया था कि यहां के किसान के सब्जी के डंठल को छूना तक नहीं, । यही कारण है कि उन्हें 'जानने वाला राजा' कहा जाता है। 6 जून, 1674 को शिवराय की ताजपोशी हुई और रैयत के स्वराज की स्थापना की घोषणा की। भारत के श्रेष्ठ राजाओं में वीर शिवाजी का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है। पुणे से दक्षिण में तंजावुर तक, उन्होंने मराठों के शासन की स्थापना की। सभी धर्मों की समानता के सिद्धांत को शिवाजी ने सच्चे अर्थों में लागू किया था और मराठों का शासन चालू रखा। दक्षिण में दिग्विजय के समय जब वे रायगढ़ लौटे तो उन्होंने खूब भागदौड़ की। वहीं वे बीमार पड़ गए  और 3 अप्रैल, 1680 को केवल 50 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके जाने से न केवल रायगड अपितु समूचा मराठी क्षेत्र अनाथ हो गया था।  आज भी वीर शिवाजी महाराज को बच्चा बच्चा अपनी प्रेरणा मानता है।  

महिलाओं के सम्मान को लेकर भी शिवाजी महाराज ने समाज को जागृत करने की कोशिश करी 

 1678 में,  सकुजी गायकवाड़ ने बेलवाड़ी को जीतने के लिए किले को घेर लिया था। सावित्री देसाई नाम की एक महिला थी जो किले की मालकिन थी। वह लगभग एक महीने तक लड़ी और अंत में हार गई। लेकिन रंजिश में सकुजी ने महिला के साथ दुष्कर्म किया। जैसे ही यह बात  शिवाजी महाराज के कानों में पड़ी, उन्होंने तुरंत सकुजी को अपनी आँखें फोड़ने और उन्हें जीवन भर के लिए जेल में डालने की सजा सुनाई। शिवाजी महाराज का ये सख्त आदेश था की किसी भी धर्म की महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। शिवाजी महाराज ने महिलाओं के सम्मान के लिए समाज में बदलाव लाने की पूरी कोशिश करी , एक ऐसी ही घटना इस बात को सिद्ध करती है जब राजशाही में गरीब महिला की इज्जत की कद्र नहीं होती थी, महिला को महज एक वस्तु समझा जाता था। राज्य के पाटिल ने ऐसे ही एक गरीब किसान की पुत्री की इज्जत लूटी, इस तथ्य को जानकर शिवाजी महाराज ने अविलम्ब अंगच्छेदन की सजा का आदेश दे दिया। उनके इन कठोर आदेशों से समाज में भी एक अच्छा परिवर्तन महसूस किया गया था।