Feb 10, 2023
अमलनेर के मंगलादेव मंदिर में पृथ्वी माता और पंचमुखी हनुमानजी की अद्भुत प्रतिमा
अमलनेर में श्री मंगल देवता का स्थान प्राचीन और पवित्र स्थान माना जाता है। मंगलदेव यहां पंचमुखी हनुमानजी और भू माता के साथ विराजमान हैं। कहा जाता है कि यहां धरती माता की दुनिया की पहली प्रतिमा स्थापित की गई है। पंचमुखी हनुमान और भू माता की मूर्तियां पॉलिश पत्थर से बनी हैं जो देखने में काफी अद्भुत हैं।
पृथ्वी माता को भूदेवी और भूमाता को मंगलदेव की माता कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भू माता श्री हरि विष्णु की पत्नी हैं। कुछ ग्रंथों के अनुसार, वह भगवान वराह की पत्नी हैं। हमारे वेदों, उपनिषदों, पुराणों में अनेक कथाओं में भूमाता का उल्लेख मिलता है। पृथ्वी देवी का संस्कृत नाम 'पृथ्वी' है और उन्हें भूदेवी या देवी भूमि भी कहा जाता है। वह भगवान विष्णु की पत्नी भी हैं। माना जाता है कि लक्ष्मी के दो रूप हैं - भूदेवी और श्रीदेवी। भूदेवी पृथ्वी की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी हैं। पहला उर्वर (उपजाऊ भूमि) से जुड़ा है और दूसरा महिमा और शक्ति से जुड़ा है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार भू माता से माता सीता की उत्पत्ति का उल्लेख मिलता है। चंद्रमा और मंगल ग्रह की उत्पत्ति भी धरती माता से मानी जाती है। खगोल शास्त्र भी इसकी पुष्टि करता है।यहां स्थित पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा भी अद्भुत है। पंचमुखी हनुमान का यह रूप हमें हर तरह के संकट से बचाता है। अहिरावण का वध करते समय हनुमानजी ने यह रूप धारण किया था। दरअसल, अहिरावण को पांच अलग-अलग दिशाओं में पांच जगहों पर पांच दीपक बुझाने से ही मारा जा सकता है। अहिरावण ने मा भवानी के लिए यह दीपक जलाया। यदि इन पांचों दीपकों को एक साथ बुझा दिया जाए तो अहिरावण का वध हो जाएगा, इसीलिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया।