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कांग्रेस की जन अधिकार पदयात्रा शुरू, राज्य सरकार पर लगाए आरोप

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Jan 18, 2018

**रायगढ़**। कांग्रेस की जन अधिकार पदयात्रा की शुरूआत आज रायगढ़ से की गई है। जिसमें कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता शामिल हुए। रायगढ़ से जन अधिकार पद यात्रा घरघोड़ा के लिए रवाना हो गई है। इससे पूर्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि यह आठवी पद यात्रा है, और यह पद यात्रा पूरी होगी तो हम 32 विधानसभा में पद यात्रा कर चुके होंगे। तिहाई के अधिक विधानसभा में हम पद यात्रा के माध्यम से लोगों से जन संपर्क कर चुकें होंगे। **अधिकारों की हो रही उपेक्षा...** इस पद यात्रा का उद्देश्य यह है, कि संविधान में जो अधिकार लोगों को मिला हुआ है, उन अधिकारों की लगातार उपेक्षा हो रही है, संविधान में दिए गए अधिकारों से लोगों को वंचित किया जा रहा है, और यूपीए सरकार ने जो कानून बनाया है उसमें सरकार दखल कर रही है। आज केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार हो, केवल जुमलेबाजी के कारण लोग परेशान है पीडि़त, दुखी है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं, कहीं हाथी का प्रकोप है तो कहीं माफिमाओं का प्रकोप हैं तो कहीं उद्योगपतियों का है। सरकार लोगों को प्रताडि़त कर रही है बेदखल कर रही है। सरकार की जनविरोधी नीतियों भ्रष्टाचार, कमीशन खोरी, वादाखिलाफी जैसे सभी बातों को लेकर पद यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। पद यात्रा में सुरक्षा की दृष्टि को लेकर कितने चिंतित हैं, झीरमघाटी के हमले के बाद संबंध में पूछे जाने पर भूपेश बघेल का कहना था कि झीरमघाटी हमले के बाद व्यक्ति तौर पर उनका कहना था कि मौत का भय समाप्त हो चुका है। क्योंकि झीरमघाटी में जो घटना घटी थी, उसमें सरकार के ही देखरेख में हुआ है यदि सरकार सुरक्षा नहीं हटाती तो हमारे नेता हमारे बीच में होते। **सीबीआई जांच के लिए लिखा पत्र लेकिन नहीं हो पा रही जांच...** स्व. नंदकुमार पटेल हमारे बीच होते, हमारी पार्टी की सरकार होती लेकिन षडयंत्र पूर्वक उनकी हत्या कर दी गई। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में घोषणा की थी।सीबीआई जांच के लिए हमने पत्र भी लिखा है सीबीआई जांच के लिए और हमारे पास सबुत भी है, लेकिन मुख्यमंत्री रमन सिंह का कहना है, कि उस सबूत को सार्वजनिक करें, हम जिसका भी नाम लेंगे क्या उसकी सुरक्षा की गारंटी है, जिन लोगों ने सलवा जुडूम में आप लोगों के कहने पर सहयोग दिया और वो आदिवासी एक-एक करके मारे जा रहे हैं, और यदि उनका नाम मैं ले दूं, सबूत को सार्वजनिक कर दूं तो क्या वो सबूत क्या नष्ट नही होंगें क्या उसे मिटाने की कोशिश नही होगी। यही वजह है कि झीरमघाटी हमले में अभी तक सीबीआई जांच नहीं हो पाई है।