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किसान उद्यमी कार्यशाला में किसानों ने की, बोनस की मांग

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Aug 27, 2017

रायपुर : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में रविवार को किसान उद्यमी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह का भाषण खत्म होते ही किसान बोनस की मांग करने लगे। इसके चलते कार्यक्रम तय समय से पहले ही समाप्त करना पड़ा। कार्यशाला में पहुंचे किसानों ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने और बोनस दिए जाने की मांग को लेकर आवाज बुंलद की। सभागार में खड़े होकर किसान नारेबाजी करते रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जैसे ही अपना भाषण खत्म किया, किसान समर्थन मूल्य और बोनस दो के नारे लगाने लगे। इधर बीजेपी संगठन और सरकारी सूत्र बताते हैं कि किसानों को बोनस दिए जाने के मुद्दे पर सरकार तैयार है, लेकिन केंद्रीय स्तर पर तकनीकी दिक्कतों के चलते इस पर फैसला फिलहाल पेडिंग में पड़ा हुआ है। कार्यशाला में रायपुर सांसद रमेश बैस के भाषण की भी चर्चा रही। सांसद बैस ने कहा कि किसान खून पसीना एक कर फसल तैयार करता है, लेकिन उसका वाजिब मूल्यांकन सरकार नहीं करती।

सांसद बैस ने यह बात तब कही जब मंच पर मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह मौजूद थे. बैस ने कहा कि जब तक हम पाॅलिसी नहीं बदलेंगे, हालात नहीं सुधरेगें। बैस ने कहा- हम देख रहे हैं कि गांव के गांव उजड़ रहे हैं। शहर बर्बाद हो रहा है। लोग गांवों में नहीं रहना चाहते, क्योंकि वहां मूलभूत सुविधाएं नहीं है। डाॅक्टर गांव इसलिए नहीं जाता, क्योंकि बच्चों के लिए अच्छे स्कूल नहीं है। आजादी के इतने सालों बाद भी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हुआ है।

युवा किसान उद्यमियों को आरक्षण दिए जाने की जरूरत है। टाटा यदि दाल बेचे तो क्या इसकी जरूरत है। क्या देश का युवा दाल नहीं बेच सकता। कार्यशाला में मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने युवा उद्यमियों को संकल्प से सिद्धि की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ने युवा किसानों को 2022 तक कृषि आय दोगूना करने, जैविक खेती अपनाने, एकीकृत कृषि प्रणाली लागू करने, नये भारत के निर्माण के लिए मन और कर्म से जुटने का संकल्प दिलाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में जागृति आई है. जो तस्वीर मुझे अभी दिख रही है, वह चमत्कृत करने वाली है। 

उन्होंने कहा कि आज मेरे पास इंजीयनियरिंग, मेडिकल काॅलेज में प्रवेश के लिए अनुशंसा करवाने कोई नहीं आता. बल्कि कृषि के क्षेत्र में बेहतर भविष्य बनाने वाले युवा आते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है कि पढ़ाई के बाद युवाओं को शत-प्रतिशत जाॅब मिल जाता है। आज हालात ऐसे बन गए हैं कि युवा आईएएस, आईपीएस के साथ-साथ देश-विदेश से लाखों का पैकेज छोड़कर सुदूर इलाकों में जाकर खेती-किसानी करने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मैं सीएम बना तो प्रदेश में सहकारी बैंकों में कृषि ऋण 300 करोड़ रूपए का लिया जा रहा था, लेकिन आज ये आंकड़ा साढ़े तीन हजार करोड़ तक जा पहुंचा है। जल्द ही करीब छह हजार करोड़ पहुंच जाएगा। कृषि में अब किसान रुचि ले रहा है।