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जेल में दिखा फिल्म ‘कर्मा’ का दृश्य

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Aug 16, 2017

धमतरी : हर करम अपना करेंगे ए वतन तेरे लिए... ए मेरे वतन के लोगों को... जिंदगी मौत न बन जाए संभालो यारों... संदेशे आते हैं ... देशभक्ति गीतों की ये तराने वैसे तो अक्सर मंचों में या सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देखने-सुनने को मिलते हैं। या यूं कहे कि यही देशभक्ति गीत बंदियों ने भी गाया और वो भी पूरी शिद्दत के साथ, तो यकीन करना मुश्किल हैं। लेकिन धमतरी के उपजेल में स्वतंत्रता दिवस पर ये मौका जरूर आया। जब बंदियों ने देशभक्ति गीतों का ऐसा समां बांधा कि अभिनेता दिलीप कुमार की सन् 1986 में आई फिल्म कर्मा की यादें ताजा कर दी।

जिस तरह फिल्म कर्मा में जेल के अंदर बंद कैदियों को सुधारने और उनके अंदर देशभक्ति का जज्बा पैदा करने की कोशिश की गई थी ठीक उसी प्रकार यहां भी कैदियों की मनोदशा दिखाई दी। जेल का दूसरा नाम ही सुधारगृह हैं। जहां सजा काट रहे शख्स को सुधारने का काम किया जाता हैं, ताकि वह जेल से बाहर आकर जुर्म की दुनिया को छोड़ दें और जीवन बेहतर ढंग से निर्वाह कर सके। धमतरी में कैदियों को सुधारने के लिए हर दिन नए तरीके अपनाएं जा रहे हैं।

मंगलवार को जहां पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस और श्री कृष्ण जन्माष्टमी का जश्न बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा था, तो वहीं धमतरी जिले का उपजेल भी इससे अछूता नहीं रहा। यहां जेल परिसर के अंदर पहली बार स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें देशभक्ति गीत, माखन मटका फोड़ और मनमोहक झांकी जैसे कार्यक्रम हुए। जेल के अंदर पहली बार हो रहे इस कार्यक्रम में कैदियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वहीं उपलब्ध संसाधनों से ही कैदियों ने झाकियां बनाई, जो देखते ही बन रहा था।

इस मौके पर जेल में बंद कैदियों ने कारगिल युद्ध और श्रीकृष्ण सुदामा मिलन की मनमोहक झांकी की प्रस्तुति दी। इसके आलावा योग के माध्यम से भी शीर्षासन, गणेश आकृति, हनुमान आकृति, अग्निकुंड का प्रदर्शन कैदियों ने किया। इतना ही नहीं कई बंदियों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत भी रखा था।

कैदियों की माने तो इस आयोजन से उनके सोच में बदलाव आ रहा हैं और जेल प्रशासन ने उन्हें सुधरने का एक अच्छा मौका दिया हैं। वे कभी नहीं सोचे थे कि जेल के अंदर भी इस तरह के कार्यक्रम कभी आयोजित किये जाएंगे। उन्हें कभी ऐसा नहीं लग रहा हैं कि वे अपने घर परिवार से दूर रहे हैं। बहरहाल जेल प्रशासन का कहना हैं कि आने वाले वक्त में समाज के मुख्यधारा से जुड़कर कैदी बेहतर काम कर सकते हैं। इसलिए जेल प्रशासन की कोशिश रहती हैं कि कैदियों के लिए सृजनात्मक कार्यक्रम होते रहे।