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बीजेपी के हाथ लगा एक बड़ा सियासी मुद्दा

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Sep 1, 2017

रायपुर : आदिवासी और दलितों के नाम पर जारी बीजेपी की राजनीति का केंद्र बिंदू अब पिछड़ा वर्ग बनने जा रहा हैं। शायद यही वजह हैं कि बीजेपी एक ऐसा मूवमेंट छेड़ने जा रही हैं, जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ इस बड़े वोट बैंक को अपने पाले में लाए जाने का होगा। दरअसल राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की तर्ज पर केंद्र सरकार की कवायद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने को लेकर था, लेकिन लोकसभा में बिल पारित होने के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के संशोधन प्रस्ताव के बाद बिल पारित नहीं हो सका। लिहाजा बीजेपी अब इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने की कवायद कर रही हैं।

संगठन ने तय किया हैं कि कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विरोधी पार्टी हैं, मूवमेंट छेड़कर इस वर्ग के लोगों के बीच जाकर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाएगी। छत्तीसगढ़ में अगले साल चुनाव हैं और प्रदेश में पिछड़ा वर्ग सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता हैं। लिहाजा बीजेपी की ये रणनीति कितनी असरकारक होगी, ये बड़ा सवाल हैं। बीजेपी की इस रणनीति का जवाब फिलहाल कांग्रेस के पास नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी पिछड़ा वर्ग विरोधी पार्टी हैं। पिछड़ा वर्ग के अधिकारों में बीजेपी सरकार ने ही कटौती किया हैं।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की तर्ज पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का बिल राज्यसभा में गिरा, तो बीजेपी के हाथों एक बड़ा सियासी मुद्दा लग गया। बीजेपी अब इस मुद्दे के बूते छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे उन तमाम राज्यों में पिछड़ा वर्ग के बीच अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुट गई हैं। जहां आगामी सालों में चुनाव होने हैं। छत्तीसगढ़ बीजेपी की कल बुलाई गई आपात बैठक के दौरान भी पिछड़ा वर्ग का मुद्दा जमकर गूंजा। संगठन ने तय किया कि आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने का बिल राज्यसभा में पारित नहीं पाने की वजह कांग्रेस रही। कांग्रेस के संशोधन के बाद भी बिल पारित नहीं हो सका। लिहाजा अब बीजेपी कांग्रेस को पिछड़ा वर्ग विरोधी बताते हुए मूवमेंट का आगाज करेगी। ये मूवमेंट चुनाव तक जारी रहेगा। इस दौरान संगठन के नेता पिछड़ा वर्ग में आने वाले लोगों के बीच जाकर ये हकीकत बताएगी कि केंद्र की मोदी सरकार पिछड़ा वर्ग के विकास के लिए आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की पहल कर रही थी, ठीक वैसे ही जैसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग को दिया गया हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी अनिल जैन ने कहा हैं कि बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ अभियान छेड़ेगी। इस अभियान में बीजेपी कांग्रेस को पिछड़ा वर्ग विरोधी बताएगी। दरअसल बीजेपी प्रभारी अनिल जैन का आरोप हैं कि कांग्रेस अनुसूचित जाति और जनजाति की तरह पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने का कानून संसद में पास कराना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने इस बिल को राज्यसभा में पारित नहीं होने दिया। इससे कांग्रेस बेनकाब हो गई। देश की ओबीसी जनता के सामने कांग्रेस का सच आ चुका हैं। उन्होंने बताया कि कालेलकर कमेटी की अनुशंसा के आधार पर मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की पहल की, लेकिन ये लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में गिर गया। जैन ने कहा कि 1955 से ये मांग हो रही थी कि पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग बने।

इस अभियान का मकसद प्रदेश में ओबीसी वोटों की लामबंदी हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोट बैंक पर बीजेपी की नजर हैं। लिहाजा ये अभियान बीजेपी की रणनीति के हिसाब से कारगर होगा। हालांकि इस अभियान का स्वरूप क्या होगा। किस तरह से बीजेपी इसे अमली जामा पहनाएगी। इस पर चर्चा होनी शेष हैं। 

इधर पिछड़ा वर्ग के बड़े वोटबैंक को साधने की बीजेपी की रणनीति की वजह भी जान लेते हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग का वोट बैंक सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता हैं। कहने को तो ये आदिवासी बहुल राज्य हैं, जिसकी आबादी करीब 32 फीसदी हैं, लेकिन वास्तविक स्थिति में प्रदेश की आबादी में करीब 50 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग के लोगों की हैं। बीजेपी की पिछड़ा वर्ग को साधने की इस रणनीति पर फिलहाल कांग्रेस के पास जवाब नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी ने पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की कटौती की हैं। हमारे पास दस्तावेज हैं। दस्तावेज के साथ अलग से प्रेस कांफ्रेंस होगा। अभी इससे ज्यादा और कुछ नहीं बोलूंगा।

बीते तीन सालों में छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग की सक्रियता तेजी से बढ़ी हैं। आदिवासी और दलितों के बीच पिछड़ा वर्ग से भी मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग होती रही हैं। 2014-15 में राजधानी रायपुर में पिछड़ा वर्ग का एक बड़ा आंदोलन हुआ था और अभी हाल ही में राहुल गांधी ने दिल्ली में छत्तीसगढ़ समेत देशभर के पिछड़ा वर्ग के नेताओं की एक बड़ी बैठक भी की थी। लिहाजा प्रदेश के भीतर 50 फीसदी आबादी वाले इस तबके का साथ कोई भी पार्टी छोड़ना नहीं चाहती। खासतौर पर बीजेपी जो सत्ता की सत्ता में काबिज हैं। बीते चुनाव में कांग्रेस के अनुपात में पिछडा वर्ग से सफलता बीजेपी को ज्यादा मिली थी। ऐसे में चौथी पारी में जीत सुनिश्चित करने बीजेपी अब आदिवासियों और दलित के साथ आंदोलन के जरिए ओबीसी कार्ड भी खेलने जा रही हैं।