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रायपुरः सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की कुव्यवस्था गरीबों का उड़ा रही मजाक

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May 2, 2019

सत्या राजपूत- छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देना चाहते हैं। वे पूरी तरह से निःशुल्क इलाज की व्यवस्था करना चाहते हैं। स्वास्थ्य मंत्री की कोशिश यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम लागू करने की है, लेकिन लगता है कि व्यवस्था को अव्यवस्था में बदलने वाले सिस्टमधारी लोग ये कभी पूरा नहीं होने देंगे। इसके अनेक उदाहरण समय-दर-समय देखने को मिलते ही रहे हैं। एक बार फिर सिस्टमधारी लोगों ने यह साबित कर दिया कि जनता भले ही सत्ता बदल देती है लेकिन सत्ता व्यवस्था को बदल पाए, ऐसे सिस्टम में बैठे लोग कभी होने नहीं देते। इस दाग के एक हिस्से का किस्सा हम सुनाने जा रहे हैं। अंदर का असल सच दिखाने जा रहे हैं। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का वह सच जिसे अब तक छिपाया गया है।

भीषण गर्मी से बचने के लिए परिजन खुद ही लगाते हैं जुगाड़

हम बात कर कर रहे हैं उस अस्पताल की जिसे पूर्व की रमन सरकार ने संवारने के लिए अपने डॉ. दामाद को पूरी तरह से खुली छूट दे दी थी। उस अस्पताल में जहां पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर की भी पैनी निगाहें थी। खैर, अब वर्तमान की बात करते हैं। उस वर्तमान की जिसे आप तस्वीरों में देख रहे हैं। जिसे देख आपके मन में ढेरों सवाल उठ रहे हैं। अभी तक आपने जिस तस्वीर को देखा है, उसी तस्वीर में अपने बेटा का इलाज करा रही एक बेबस माँ कृष्णा मधुकर भी है। कृष्णा मधुकर यहाँ अपने बेटे का इलाज करा रही हैं। कृष्णा कहती हैं कि अस्पताल में उन्हें भीषण गर्मी में अपने बेटे को रखना पड़ रहा है। बाहर से वह पंखा खरीदकर लाई हैं ताकि कुछ राहत मिल सके। अस्पताल प्रशासन से तो कोई राहत नहीं।

आईसीयू में पंखे और कूलर नहीं

आपको यह भी बता दे कि अस्पताल की इस बदहाल स्थिति पर अधीक्षक किस तरह से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं या कहिए इस मामले से बचना चाह रहे हैं, यह सोचनीय है। अधीक्षक के.के सहारे कहते हैं कि एक के बाद एक लगातार ऐसी खराब आ रही है। आईसीयू में पंखे और कूलर नहीं हैं क्योंकि सभी एयरकंडिशन है। फिलहाल स्थिति बिगड़ने के बाद पंखे और कूलर की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। सहारे ये सब बता ही रहे थे कि उन्होंने लगे हाथ इस कथा में यह व्यथा भी सुना दी कि ऐसी के कुछ पार्ट्स चोरी हो गए हैं। चूहों ने सेंसर काट दिया है। अधीक्षक महोदय का कहना है कि व्यवस्था दुरस्त किया जा रहा है। ठेका कंपनी को नोटिस दिया गया है। वैसे मुखिया जी, मंत्री जी आप यह भी जान लीजिए, भले ही यहाँ आईसीयू से लेकर वार्ड तक में ऐसी बंद हो, लेकिन अधिकारियों के कमरे पूरी तरह से कूल-कूल हैं। अधिकारियों के कमरे में ऐसी चालू है। ये और बात है कि मरीज बेचारे तड़प रहे हैं, गर्मी में जल रहे हैं।

अस्पताल में एंबुलेंस होने के बाद भी इसकी मदद नहीं मिलती

वहीं 4 सौ किलोमीटर दूर का मरीज राजधानी में बेहतर इलाज के लिए सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में आकर डॉक्टरों के चक्कर काटते रहता है। इससे दुःखद क्या होगा कि लाचार-बीमार मरीज को एक ही दिन में 6 बार मेकाहारा से डीकेएस घुमाया जाता है। एक मरीज को अस्पताल में एंबुलेंस होने के बाद भी इसकी मदद नहीं मिलती है। एक मरीज को ऑटो में सफर करने पर मजबूर होना पड़ता है। एक मरीज को इतना तड़पना पड़ता है कि ऑटो में चढ़ते वक्त वह गिर जाता है। ये एक मरीज है राजेश सोनवानी. राजेश सोनवानी जो कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के इलाके ही रहने वाला है। सूरजपुर से राजेश सोनवानी को बेहतर इलाज के लिए रायपुर अंबेडकर अस्पताल भेजा गया था, लेकिन यहाँ बेहतर इलाज तो दूर, इलाज ही नसीब नहीं हो रहा है। बीते 14 दिनों से राजेश कभी मेकाहारा में डाक्टरों के चक्कर काटता, कभी डीकेएस में भटकते रहता है।

डीकेएस के अधीक्षक को मामले की जनकारी ही नहीं

राजेश के परिजन धर्मजीत सिंह ने स्वराज एक्सप्रेस से अपनी पीड़ा बताते हुए रो देते हैं। आँखों में आंसू लिए धर्मजीत सिंह, जैसा अस्पताल प्रशासन कह रहा है, बस वही कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास निजी अस्पताल में इलाज कराने को पैसा नहीं है और यहाँ गरीबों के अस्पताल में सरकारी व्यवस्था गरीबों को मजाक उड़ाने में लगी है। उनका दर्द दूर करना छोड़ उन्हें दुःख देने में लगी है। हालांकि डीकेएस के अधीक्षक केके सहारे से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। आपके माध्यम से यह बात सामने आई है। इसकी पूरी जानकारी लेकर पीड़ित मरीज को पूर्ण इलाज मुहैय्या करवाता हूँ। अगर हमारी ओर से इलाज देने में कोई लापरवाही बरती होगी तो इसमें कार्रवाई भी की जाएगी।

अब बताइए स्वास्थ्य मंत्री जी इस अव्यवस्था पर या सुपर अस्पताल की इस व्यवस्था पर क्या कहे? किसे जिम्मेदार ठहराए? आप सिस्टम को ठीक करने में लगे हैं। यहाँ सिस्टम है कि सुधर ही नहीं रहा। वैसे बतौर स्वास्थ्य विभाग के मुखिया बनने के बाद से आपकी संवेदनशीलता देखने को मिलती रही है। उम्मीद है डीकेएस में मरीजों के साथ हो रहे अन्याय में जल्द ही ‘न्याय करेंगे। वैसे भी आप और सरकार तो ‘न्याय’ के साथ हैं।