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सूरजपुरः जिला अस्पताल में डिलिवरी कराने के एवज में की जाती है पैसों की मांग

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Aug 29, 2019

दिलशाद अहमद - प्रदेश सरकार एक तरफ गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा करती है, तो दूसरी तरफ जमीनी हकीकत उसके उलट ही दिखाई दे रही है। ताजा मामला सूरजपुर जिले से सामने आया है, जहां जिला अस्पताल में डिलिवरी कराने के एवज में पैसों की मांग करने का मामला प्रकाश में आया है। परिजन के असमर्थता जताये जाने पर जच्चा और बच्चा को डिस्चार्ज करने से भी मना कर दिया गया। हालांकि चार हजार लेने के बाद बाकी का पैसा दूसरे दिन पहुंचा देने की बात पर डिस्चार्ज तो कर दिया गया, लेकिन दवा और पर्ची कल के गारंटी पर नहीं दिया गया। लिहाजा जच्चा और बच्चा को परिजनों ने अपने पैसे से वाहन बुक करवा कर घर ले गये। महिला के पति को बकायदा एक पर्ची दिया गया, जिसमें महिला चिकित्सक ने नर्स को लिखा, सिस्टर छुट्टी दे देना, दवाई कल ले जायेगा। जबकि दवा कल साथ में क्यों नहीं दिया, इसका कोई जवाब जिला अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं है।

युवा मोर्चा ने उस डाक्टर को तत्काल हटाने की मांग कलेक्टर और सीएमएचओ से की

गौरतलब है कि लैंगा में रहने वाला दिनेश यादव अपनी पत्नी को 19 तारीख को जिला अस्पातल में लाकर भर्ती करवायी थी। जहां उसी दिन महिला ने बेटे को जन्म दिया। महिला के पति ने बताया कि तीन-चार दिन बाद उसने डिस्चार्ज करने को कहा तो उससे कहा गया कि जाओ पहले पन्द्रह हजार लाओ, तब छूट्टी मिलेगी। पति ने असमर्थता जताई, लेकिन किसी तरह 27 तारीख को परिवार वाले पांच हजार व्यवस्था करके लाये, जिसमें से चार हजार महिला चिकित्सक को दिया और एक हजार वाहन बुकिंग कर घर तक पहुंचने का इन्तजाम किया। पति ने ये भी आरोप लगाया कि चिकित्सक ने नर्स के नाम अपने घर से पर्ची बना कर दिया कि छुट्टी दे दो, दवाई कल ले जायेगा। नवजात बच्चे के पिता का कहना है कि उसकी पत्नी और बच्चे की तबियत थोड़ी खराब है और वो बिना पर्ची के दवा कैसे ले जायेगा। फिलहाल मीडिया के माध्यम से जानकारी लगने पर युवा मोर्चा ने उस डाक्टर को तत्काल हटाने की मांग कलेक्टर और सीएमएचओ से की है। मांग पूरी न होने पर आंदोलन की बात भी की है। वहीं सीएमएचओ मामले की जांच कराने की बात कही है और खुद ही दवाई की पर्ची बनाकर नवजात बच्चे के पिता को दिया।