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''स्कूल जा पढ़े बर, जिनगी ला गढ़े बर'' राज्य सरकार ने दिया नारा

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Aug 9, 2018

रवि शुक्ला - बच्चो को स्कूल भेजने के लिए ये नारा दिया हुआ है लेकिन ये नारा मुंगेली जिले में सिर्फ एक नारा बनकर ही रह गया है कारण है यहाँ के स्कूलों में शिक्षकों की कमी ऐसा ही एक स्कूल है डांडगांव का कह्ने को तो इस गांव को क्षेत्र के विधायक और प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री पुन्नूलाल मोहले के द्वारा गोद लिया गया है लेकिन इस गांव में बुनियादी सुविधाओं जैसी कोई बात नहीं है यहाँ भले ही हायर सेकेंडरी तक स्कूल संचालित हो रहा है लेकिन ये स्कूल सिर्फ शो पीश बनकर रह गया है कारण यहाँ पर शिक्षकों की कमी यही वजह है।

सैकड़ो छात्र और छात्राएं पहुंचे कलेक्ट्रेट ऑफिस

बच्चे आते तो है लेकिन पढाई नहीं होने के चलते मायूस होकर लौट जाते है इनके द्वारा शिक्षकों की कमी की बात अपने ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों और क्षेत्रीय विधायक से भी कर चुके है लेकिन सभी ने सिर्फ आश्वासन ही दिया जिसके चलते इनके सामने अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है इसी सब मुद्दे को लेकर सैकड़ो छात्र और छात्राएं आज कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर शिक्षकों की मांग कि जिसपर अधिकारियो के द्वारा एक बार फिर आश्वासन देकर इनको बिदा कर दिए कलेक्ट्रेट पहुंचकर शिक्षकों की मांग कर रहे स्कूली बच्चो ने बताया कि जुलाई महीने से स्कुल सत्र शुरू हो गया है।

2 महीने बीत जाने के बाद भी नहीं शुरू हुई पढाई

2 महीने बीत जाने के बाद भी हमारी पढाई शुरू नहीं हो पायी है हुए एक महीने बाद होने वाले तिमाही परीक्षा में हमारा कोई तैयारी नहीं हो पायी है वही अधिकारी और नेता हमको सिर्फ आश्वासन ही दे रहे है ऐसे में हमारे भविष्य का क्या होगा और हम पढ़लिखकर कुछ बनने का सपना देखे है उसका क्या होगा स्कूली बच्चो ने साफ़ तौर पर कहना है कि अगर जिला प्रशासन द्वारा जल्द शिक्षकों की व्यवस्था नहीं करते है तो हमारे द्वारा सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा वही स्कूली छात्रों का कहना है कि अगर बुनियादी सुविधा प्रदान नहीं कर सकते तो क्षेत्रीय विधायक को क्या जरूरत थी हमारे गांव को गोद लेने की सिर्फ कागजो में ही वाहवाही लूटने की वही स्कूली बच्चो के साथ पहुंचे ग्रामीण भी बच्चो की मांग को जायज बता रहे है।

योजनाओ के लिए पानी की तरह बह रहा पैसा

उनका कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियो की मनमानी के चलते ही आज हमारे गांव के स्कूल में शिक्षकों की कमी है उनके द्वारा ही शिक्षकों से लेनदेन कर हमारे गांव में पदस्त शिक्षकों को उनके मनचाहे जगहों पर भेजा गया है जिसके चलते आज हमारे बच्चो का भविष्य अंधकारमय हो गया है वही इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी स्कूली बच्चो को हो रहे परेशानी से इत्तेफाक तो रखते है लेकिन शिक्षकों की कमी को कैसे दूर किया जाएगा के सवाल पर बगले झाकते नजर आये और शिक्षकों की कमी के चलते स्कूली बच्चो को हो रही परेशानी को जल्द दूर करने का अपना रटारटाया जवाब प्रस्तुत कर रहे है बहरहाल प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कई योजना बनाकर लाखो रूपये पानी की तरह बहा रहे है।

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है स्कूली बच्चे

इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन की योजनाओ को जिले के अधिकारी कितना गंभीरता से लेते है यही वजह है कि गाँव के बच्चे शिक्षा के अपने  कानूनी अधिकार से वंचित हो गए है और शिक्षा केविकास के तमाम सरकारी दावे इनके लिए बेईमानी साबित हो रहे है ऐसे में बच्चे कैसे कहे स्कूल चलें हम।