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उद्योग की मनमानी और वादाखिलाफी से त्रस्त्र ग्रामीण, जिला पर्यावरण अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

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Jun 29, 2019

भूपेंद्र सिंह : महावीर की जनसुनवाई पहले भी विवादों के घेरों में रही है और अब भी है। पिछली जनसुनवाई भी इन्हीं विवादों के कारण स्थगित हुई थी और इस बार भी कुछ ऐसे ही आसार बने हुए हैं। महावीर उद्योग की स्थापना नवंबर 2009 में हुई थी। तब से लेकर अब तक भेंगारी और आसपास के ग्रामीण इस उद्योग की मनमानी और वादाखिलाफी से त्रस्त्र हैं। अब 10 जुलाई को एक बार फिर से इस उद्योग के लिए पर्यावरणीय जनसुनवाई की जानी है। जिसकी मुखालफत प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की ओर से की जा रही है। इन्हीं प्रभावित ग्रामीणों की ओर से हल्लाबोल किया गया। सैकडों की संख्या में ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचकर जिला पर्यावरण अधिकारी को ज्ञापन सौंपें। 

पुराने विवादों से पीछा नहीं छूटा और अब नई जनसुनवाई 10 जुलाई को रखी गई है। नवंबर 2009 में घरघोड़ा के ग्राम भेंगारी में 12 मेगावाट बिजली क्षमता उत्पादन के लिए महावीर एनर्जी की स्थापना की गई थी। लेकिन भू-अर्जन में व्यापक अनियमितताओं और ग्रामीणों की जमीनों को हथियाने के दर्जनों फर्जीवाड़ों का विवाद आज भी बरकरार है। यही कारण है कि पिछले विवादों के निपटारे न हो पाने के बावजूद कंपनी के लिए 5 एमटीपीए की कोलवासरी स्थापित करने के लिए जनसुनवाई आयोजित की जा रही है। 

कंपनी प्रबंधन की ओर से 56.18 करोड़ रुपए खर्च कर इस कोलवासरी को स्थापित किया जाना है। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी की ओर से वर्तमान में जो पॉवर संयंत्र स्थापित किया गया है उससे निकलने वाले प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल है। पहले ग्रामीण प्राकृतिक परिवेष में रहते थे। अब कंपनी स्थापित होने एवं पर्यावर्णीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उत्पादन करने के कारण भेंगारी सहित आसपास के गांवों की आवोहवा में प्रदूषण का जहर घुल गया है। ऐसे में एक बार फिर से कोलवासरी की स्थापना की जा रही है। इसके शोरगुल और वेस्टेज गंदे पानी से आम जनजीवन पर व्यापक असर पड़ेगा। उक्त बिंदुओं के आधार पर पर्यावरण विभाग का घेराव करते हुए विस्तार हेतु 10 जुलाई को निर्धारित जन सुनवाई निरस्त करने की मांग ग्रामीणों ने की है।