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माइक्रो फाईनेंस कंपनी ने 15 साल तक किया करोड़ो का व्यापार, लोगों का पैसा लेकर कंपनी चंपत

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Mar 3, 2019

पुरूषोत्त्म पात्रा : गरियाबंद में माइक्रो फाईनेंस नाम की कंपनी 15 साल तक प्रशासन की नाक के नीचें करोडों रुपये का कारोबार करके चंपत हो गयी और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। अपने खून पसीने की  कमाई गंवा बैठे जिले के हजारों लोग अब सरकार से रकम वापिस दिलाने की मांग कर रहे है।

लोगों के सपने हुए चकनाचूर
फुटपाथ पर बैठकर सब्जी बेचने वाली मुक्ताबाई ने 5 साल तक रोज 10 रुपये माइक्रो फाईनेंस कंपनी में जमा किये ताकि समय पडने पर वह जमापूंजी निकालकर अपनी 6 बेटियों की शादी कर सके, मगर उसका ये सपना पूरा ना हो सका। कंपनी अपना बोरिया बिस्तर बांधकर चंपत हो गयी और मुक्ताबाई का सपना टूट गया। बल्कि मेहनत की कमाई भी हाथ से निकल गयी। ऐसा ही हाल जूस की दुकान चलाने वाले गंजानंद बिसी और पानठेला की दुकान चलाने वाले रविन्द्रनाथ मरकाम का भी है। दोनो ने भविष्य का सुनहरा सपना देखते हुए 10-20 रुपये रोज कंपनी में जमा किया मगर कंपनी ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया।


कंपनी ने 15 साल तक धड़ल्ले से किया कारोबार
ग्रामीणों और कंपनी के ब्रॉच मैनेजर की माने तो कंपनी ने 15 साल तक धडल्ले से गरियाबंद जिले में अपना कारोबार किया। कंपनी ने पहले लोगो का विश्वास जीता और फिर सबकुछ लेकर फरार हो गयी। यदि अकेले गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड की बात की जाये तो यहॉ के 5200 से ज्यादा छोटे तबके के लोगो को कंपनी ने अपने झांसे में लेकर 12 करोड का जूना लगा दिया। यदि कंपनी के करोबार की गरियाबंद जिला स्तर और छत्तीसगढ स्तर पर बात की जाये तो सैंकडो करोड रुपये डकारकर कंपनी रफू चक्कर हो गयी। पीडित लोग अब सरकार से उनका पैसा वापिस दिलाने की मांग कर रहे है।


काले कारनामे पर सरकार की कार्यवाही
गरियाबंद सहित छत्तीसगढ में जिस तरह चिटफंड कंपनियों ने धडल्ले से अपना कारोबार करके आम जनता की गाढी कमाई को लूटा वह किसी से छुपा नही है और सरकार ने ऐसी कंपनियों पर अबतक क्या बडी कार्यवाहियां ये भी जगजाहिर है, ऐसे में गरियाबंद से सामने आये माइक्रो फाईनेंस कंपनी के काले कारनामे पर सरकार क्या कार्यवाही करती है ये तो आने वाला वक्त ही बतायेंगा मगर फिलहाल गरियाबंद से ठगे गये लोग अपनी रकम वापिस मिलने की आखिरी आस केवल सरकार से ही लगाये बैठे है।