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बगैर छत के स्कूल भवन, बच्चों का भविष्य अधर में लटका

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Feb 13, 2019

सुनील पासवान- भाजपा को सूबे में 15 वर्षो तक सियासत करने के बाद मिली करारी हार। अब तक समझ में नहीं आई। यही वजह है कि वे अब तक अपने हार की समीक्षा और लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर अपना ध्यान जुटाएँ हुए है। पर आज आप जो तस्वीरें देख रहे हैं यह किसी बीहड़ जंगली इलाके का हिस्सा नहीं है, बल्कि पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के क्षेत्र का है। जहां कभी मंत्री जी चौपाल महीने में दो से तीन बार लगती रही थी और वर्तमान में यह प्रदेश के "स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम" के निर्वाचन क्षेत्र का है।

जिम्मेदार अधिकारी अपने बगले झांकने को मजबूर
अब जिम्मेदार अधिकारी अपने बगले झांकने को मजबूर हैं पर उनके पास देश के भविष्य कहे जाने वाले इन बच्चों के भविष्य को अधर में लटका देने वाले लोगों के प्रति आज भी सहानुभूति है। बता दें कि जिले के विकासखण्ड वाड्रफनगर का ग्राम आसनडीह पहले कभी सूबे के गृहमंत्री के प्रोटोकॉल की फेहरिस्त में अत्याधिक शुमार रहा करता था। मतलब गृह मंत्री इस गांव में अक्सर चौपाल लगाया करते थे। बावजूद इन सबके इस गांव के कोकरापारा में आज के प्राथमिक स्कूल के बच्चों को बगैर छत के स्कूल भवन में बैठकर अपना भविष्य गढ़ना पड़ रहा है। इन सबसे परे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि मौजूदा दौर में जो सरकार सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के वायदे और दावें करती है। यह उसी स्कूली शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम का निर्वाचन क्षेत्र भी है। कोकरापारा में वर्ष 2006 में प्राथमिक शाला खोले जाने की घोषणा तत्कालीन रमन सरकार ने की थी। तब किराये के घर में ही स्कूल संचालित हुआ करती थी और 2012-13 में इस गांव में 7 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति प्राथमिक शाला भवन के लिए सरकार ने दी थी, जिसे बनाने की जिम्मेवारी ग्राम पंचायत की थी पर ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच और सचिव ने स्कूल भवन की राशि में गफलत कर उसे पूरा तो नहीं बनवाया, उसे अधर में ही छोड़ कर चलते बने। वहीं अब आलम यह है कि स्कूल संचालित करने निजी भवनों में किसी प्रकार का फंड नहीं है। ऐसे में ये ग्रामीण परिवेश के बच्चे कभी पेड़ के नीचे तो कभी निर्माणाधीन स्कूल भवन में बैठकर अपना भविष्य गढ़ रहे हैं।