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गरियाबंद में पानी के साथ जहर उगल रहे हैंडपंप, पीएचई विभाग की जांच में बड़ा खुलासा

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Aug 12, 2018

पुरुषोतम पात्र : गरियाबंद के सुपेबेडा और गोहेकेला का ही पानी दूषित नही है, बल्कि उस ईलाके के कई ओर गॉवों के हैंडपंपो का पानी भी पीने लायक नही है, पीएचई विभाग की जांच में ये बडा खुलासा
हुआ है।

बता दें जिले के पीएचई विभाग ने देवभोग विकासखंड के स्कूलों में लगे हैंडपंपो के पानी की जांच की तो चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है, विभाग ने विकाखंड के 217 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में लगे 154 हैंडपंपो की जॉच कर शिक्षा विभाग को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें 74 हैंडपंपो का पानी पीने लायक नही मिला, इऩ हैंडपंपो से निकलने वाले पानी में फ्लोराईड और आय़रन की मात्रा कई गुणा ज्यादा पायी गयी, विभाग ने इस पानी को पीने योग्य नही होने की बात कहकर तत्काल इसे पीने पर रोक लगा दी, मगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नही होने के कारण लगभग 3800 स्कूली बच्चे अभी भी इन्ही हैंडपंपो का पानी पीने पर मजबूर है।

पीएचई विभाग ने जिन हैंडपंपो का पानी सही नही पाया गया उन पर लाल चिन्ह लगा दिया और उनका पानी पीने से मना कर दिया, विभाग ने इन हैंडपंपो की रिपोर्ट महीनेभर पहले शिक्षा विभाग को सौंपकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली, अब शिक्षा विभाग स्कूलों में पेयजल व्यवस्था के लिए कोई फंड नही होने का हवाला देकर इस समस्या से निपटने में खुद को लाचार बता रहा है, हालांकि जिला शिक्षा अधिकारी ने उच्चाधिकारियों से राय मशवरा कर इस समस्या के समाधान का आश्वसन दिया है, साथ ही ये बताने से भी नही चुके की स्कूलों में पेयजल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी पीएचई विभाग की है।

फिलहाल दोनो ही विभाग एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने से हाथ खींचते नजर आ रहे है, अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा स्कूल के इन बच्चों को भुगतना पड रहा है, बच्चे आज भी यही दूषित  पानी पीने पर मजबूर है,दूषित पानी से बिगडे सुपेबेडा और गोहेकेला दो गॉवो के हालात संभालने में प्रशासन के पसीने छुट गये, समय रहते यदि स्कूलों में शुद्धपेयजल की व्यवस्था नही हुयी और कहीं इन हैंडपंपो का पानी पीने से हालात बिगड गये तो प्रशासन के लिए हालात सुधार पाना मुश्किल ही नही नामुकिन हो जायेगा।