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आँखफोडवा कांड: 37 मरीजों की आँखें हुई खराब, स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही

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Mar 30, 2018

छत्तीसगढ़ में आंखफोड़वा कांड की घटना थमने का नाम नहीं ले रही है, प्रदेश में इससे पहले भी मोतियाबिंद आॅपरेशन के दौरान दर्जनों ग्रामीणों की आंखो की रौशनी जाने का मामला सामने आ चुका है बावजूद स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के और विभाग की सुस्त कार्यवाही के कारण राजनादगांव के क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में मोतियाबिंद का आपरेशन करवाने आये जिले  के मोहला-मानपुर क्षेत्र के लगभग 54 ग्रामीणों में से 37 लोगो की रौशनी चले जाने का मामला सामने आया है।

बता दें इस पूरे मामले को अस्पताल प्रबंधन द्वारा दबाने और स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को जानकारी नहीं देने का मामला सामने आया है। मीडिया के हस्तक्षेप के बाद स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच शुरू की है। जाँच के बाद आॅपरेशन में इस्तेमाल किए जाने वाली एमबी डेक्सा इन्फेक्शन को पूरे प्रदेश मे बैन कर दिया है पर आँख खोने वाले मरीजो की सुध लेने वाला कोई नही। 

क्या है पूरा मामला
शहर के क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में 2 फरवरी शुक्रवार को मानपुर ब्लॉक के मुड़पार, हेलमकोड़ा, मरकाक्सा सहित अन्य गांवो से वनांचल के लगभग 54 ग्रामीणों ने निःशुल्क मोतियाबिंद आॅपरेशन करवाने के लिए अस्पताल में भर्ती हुए जहां पर डॉक्टरों के द्वारा इन मरीजों का आॅपरेशन किया गया और ऑपरेशन के दूसरे दिन छुट्टी दे दी गई और मरीज अपने घर चले गए, वहीं आंखो की पट्टी खुलने के बाद लगभग 37 लोगो को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था जिसके बाद मरीजों के परिजनों के द्वारा अस्पताल प्रबंधन को शिकायत की गई जिसके बाद मरीजों का फिर से आॅपरेशन किया गया उसके बाद भी आंखो की रौशनी वापस नहीं आई।

निजी अस्पताल में करवाया ऑपरेशन
आननफानन में अस्पताल प्रबंधन के द्वारा अलग-अलग मरीजों का गट बनाकर रायपुर के निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया गया उसके बाद भी लोगो की आँखों की रौशनी वापस नहीं आई वहीं परिजनों ने इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन के ऊपर लापरवाही करने का आरोप लगाया है और जाँच कर दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है ।

मरीजों का क्या है कहना 
वहीं मरीजों का कहना है की जबसे डॉक्टरों के द्वारा ऑपरेशन किया गया उसके बाद से कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। जिले के फेलोशिप अस्पताल के डायरेक्टर का कहना है की इससे पहले भी ऑपरेशन किया गया है लेकिन कोई शिकायत नहीं मिली है। डॉक्टर संक्रमण के चलते आँखों की रौशनी खो जाने की बात कह रहे है।

जांच टीम  के मुताबिक
जिले में आंखफोड़वा काण्ड के बाद हड़कंप मच गया है, इस पूरे मामले को क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल के द्वारा दबाने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन मीडिया के हस्तक्षेप के बाद मामले का खुलासा हुआ है बहरहाल स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अस्पताल पहुंचकर मरीज और डॉक्टरों का बयान लिया गया है। इस पूरे मामले में जांच टीम का कहना है की प्रथम दृष्ट्या आॅपरेशन के समय जो एमबी डेक्सा इंजेक्शन लगाया गया था जिसके संक्रमण के चलते लोगो की आँखों की रौशनी नहीं आ पाई है इससे पूर्व भी बालोद जिले में वर्ष 2011 में स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित मोतियाबिंद आॅपरेशन शिविर में दर्जनों लोगो की आँखों की रौशनी गायब होने की घटना हो चुकी है। 

प्रदेश भर में एमबी डेक्सा इंजेक्शन की खरीदी बिक्री पर बैन 
बता दें कांकेर में भी 2 नवम्बर 2016 को मोतियाबिंद शिविर में ऑपरेशन के बाद कई लोगो की आँखों की रौशनी चले जाने का मामला सामने आ चुका है । इस पूरे मामले में सरकार ने इस निजी अस्पताल में आॅपरेशन पर बैन के साथ साथ पूरे प्रदेश भर में एमबी डेक्सा इंजेक्शन की खरीदी बिक्री पर बैन लगा कर सख्त कार्यवाही का भरोसा दिलाया है।