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“दावों की पोल” जंगल में बसे ग्रामीणों की जब सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने सरकार को दिखाया आईना

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Dec 22, 2018

पुरुषोत्तम पात्रा - बच्चे पढेंगे देश का भविष्य गढेंगे, ये वाक्य कहने और सुनने में कितना अच्छा लगता है, मगर क्या बिना पढाई के ही बच्चे देश का भविष्य गढ पायेंगे, ये हम इसलिए कह रहे है कि गरियाबंद में एक ऐसा ही गांव है ईचरादी, जहां सरकार ने स्कूल नही खोला तो ग्रामीणों ने मिलकर खुद ही स्कूल खोल दिया और चंदा इक्ट्ठा करके स्कूल में शिक्षक भी रख लिया, फिलहाल यहां पहली से 5वीं तक के 46 बच्चे अपना भविष्य गढ रहे है।

ग्रामीणों ने कई बार की प्रशासन से स्कूल की मांग

ऐसा नही है कि ग्रामीणों ने स्कूल की मांग ना की हो, प्रदेश के मुखिया से लेकर शिक्षा मंत्री तक ग्रामीणो ने अपने बच्चों के लिए गुहार लगायी मगर सफलता नही मिली, ईचरादी कोचेंगा पंचायत का आश्रित गांव है, कोचेंगा में शासकीय मिडिल स्कूल है मगर कोचेंगा से ईचरादी के बीच की दूरी 11 किमी की है, साथ ही घना जंगल भी, इसलिए यहॉ के लोग अपने बच्चों को कोचेंगा भेजना नही चाहते थे और गांव में ही स्कूल खोलने की मांग कर रहे थे, कोचेंगा के ही आश्रित गांव गरीबा में भी मिडिल स्कूल है मगर यह भी ईचरादी से 4 किमी दूरी पर है, छोटे बच्चों के लिए जंगल पार करके यहां जाना भी आसान नही था।

ग्रामीणों ने खोली सरकार की पोल

शहरों और कस्बों में जहां एक से बढकर एक स्कूल खुल रहे है वहीं ग्रामीण अंचल में सरकारी स्कूल भी ठीक से नही चल पा रहे है, कुछ गांवो की स्थिति तो ईचरादी गांव जैसी ही है जहां ग्रामीणों ने चंदे से स्कूल खोलकर अपने बच्चों को पढाने का जिम्मा उठा रखा है, ऐसे में शिक्षा को लेकर सरकार द्वारा किये गये दावों की पोल एक बार फिर खुलकर सामने आ गयी है।