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नन्हे-मुन्हे बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़, जर्जर आंगनबाड़ी के प्रति स्थानीय प्रशासन नहीं है गंभीर

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Dec 22, 2018

सुशील सलाम - नन्हे मुन्हे बच्चो के भविष्य के प्रति सम्बंधित अधिकारी कितना गम्भीर है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी कि जानकारी लेनी चाही तो सम्बन्धीत अधिकारी ने जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया और इस मामले में कूछ न कहने कि बात कहते हूये अपनी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया दरसल पखांजूर क्षेत्र के साठ फिसदी आंगनबाड़ी जर्जर अवस्था में जो कभी भी ढह सकते है और किसी बड़ी अप्रीय घटना को अंजाम दे सकते है।

आंगनबाड़ी की दीवारों पर आई बड़ी-बड़ी दरारें

आंगनबाड़ी भवनो कि छत से रॉड नजर आ रहा है साथ ही दिवारों पर बड़ी बड़ी दरारे इस बात की ओर इंगित करती है कि भवन कभी भी ढह सकता है। बरसात के दिनो में जर्जर हो चुके भवन कि छत से पानी टपकने लगता है। जिससे भवन के अन्दर पानी भर जाने से काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ता है। वहीं जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी की शिकायत स्थानीय ग्रामीणो समेत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ ने भी उच्च अधिकारीयो को किया है उसके बावजूद जर्जर हो चूके आंगनबाड़ी कि मरम्मत को लेकर न स्थानीय प्रशासन गंभीर है और न हि जिले में बैठे उच्च अधिकारी।

आंगनबाड़ी की हालत देख परिजन बच्चों को नहीं भेज रहे पढ़ाई के लिए

स्थिति इतनी गम्भीर है कि बच्चो को आंगनबाड़ी भेजने के लिये पालक अब तैयार नही होते। पालको को भय रहता है कि कहीं भवन ढह कर नन्हे मून्हे बच्चो के साथ कोई अनहोनी न हो जाये। स्थिति इतनी दयनीय है कि सम्बंधित विभाग जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी कि मरम्मत नही करवा पा रहा है।और कई जगह जर्जर हो चूके भवनो को छोड़ किराये के मकान में आंगनबाड़ी संचालीत कि जा रही है। ग्रामीणो कि मांग है कि जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी भवनो कि मरम्मत करवाई जाये और अधिक जर्जर हो चूके भवनो के जगह नई भवन का निर्माण कराया जाये।