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सूरजपुरः एक शिक्षक की अनोखी पहल बाकी शिक्षकों के लिए बनी मिसाल

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Sep 6, 2019

दिलशाद अहमद – यूं तो शिक्षक का काम ही ज्ञान का प्रकाश फैलाना है, मगर कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जो समाज में व्याप्त बुराइयों, कमियों को दूर करना अपना नैतिक कर्तव्य समझते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक हैं, जिसकी एक अनोखी पहल बाकी शिक्षकों के लिए एक मिसाल बन गयी है। बच्चों के मध्यान भोजन को लेकर लगातार कई शिक्षकों पर आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस शिक्षक की इस पहल से बच्चों को पोस्टिक आहार मिलने की समस्या से निजात मिल गई है। हरी भरी, लहराते फसल और ताजी सब्जियां, यह तस्वीरें किसी खेत की नहीं है, बल्कि यह फसल और सब्जियां सरस ताल प्राथमिक स्कूल की है। इन सब्जियों को स्कूल के बच्चे, शिक्षक और स्थानीय ग्रामीणों ने श्रमदान कर उगाया है।

स्कूल केंपस में चारों तरफ दिखती है हरियाली, जमीन पर बच्चों के लिए उगा रहे सब्जी

आइए अब हम आपको मिलाते हैं उस शिक्षक से जिसने या अनोखी पहल की है। इनका नाम रंजन सिंह है, यह पिछले 1 साल से इस स्कूल में कार्यरत हैं। जब इन्होंने स्कूल ज्वाइन किया तब इस स्कूल में बाउंड्री वॉल तक नहीं थी। तब इन्होंने ग्रामीणों की सहायता से बांस से पूरे स्कूल कैंपस को घेरा और स्कूल की खाली बची हुई जमीन पर बच्चों के लिए खेती शुरू की। इनकी इस पहल पर छात्र, स्कूल के अन्य शिक्षक और ग्रामीणों ने भी इनका भरपूर साथ दिया। इनकी वजह से अब स्कूल केंपस के चारों ओर हरियाली दिखाई दिखाई देती है। साथ ही कई प्रकार की ताजी और पौष्टिक सब्जियां भी बच्चों को मध्यान्ह भोजन में मिल रही हैं। शिक्षक की इस पहल से बच्चे भी काफी उत्साहित दिख रहे हैं। इन श्रमदान की वजह से जहां एक ओर बच्चों को ताजी पौष्टिक सब्जी मिल जाती है, वहीं दूसरी ओर बच्चे अभी से ही स्वनिर्भर बन रहे हैं। सरकार की ओर से मध्यान्ह भोजन में बच्चों को एक हरी सब्जी देने का प्रावधान है। वहीं इस स्कूल में सभी बच्चों को दो प्रकार की हरी सब्जियां मिलती है।

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे बन रहे आत्मनिर्भर

शिक्षक और बच्चों के इस पहल का स्थानीय लोग भी समर्थन कर रहे हैं। यही वजह है कि इन बच्चों व शिक्षक के साथ स्थानीय ग्रामीण भी इस स्कूल में अपना श्रमदान देते हैं। उनका भी यह मानना है शिक्षक कि इस पहल से बच्चों को ताजी पौष्टिक सब्जियां तो मिल ही रही हैं, साथ ही बच्चे आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं। माता-पिता बच्चों को जन्म देते हैं लेकिन वह शिक्षक ही होता है, जो सही और गलत का फर्क बताता है। शिक्षक ही कच्ची मिट्टी के समान बच्चों को गढ़ कर उन्हें रूप देता है। यही वजह है कि शिक्षकों को हमारे समाज में सबसे ऊँचा दर्जा दिया जाता है। शिक्षक दिवस के दिन ऐसे शिक्षकों को स्वराज न्यूज सलाम करता है।