Loading...
अभी-अभी:

मस्तूरी के शासकीय विद्यालय में बच्चों से करवाया जा रहा मजदूरों की तर​ह काम

image

Dec 8, 2019

हरिओम श्रीवास : मस्तूरी क्षेत्र के शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय भटचौरा में छात्रों से मजदूर की तरह काम करवाने का मामला सामने आया है। स्कूल में करीब 595 के आसपास छात्र छात्राएं अध्ययन करते हैं और अध्यापन कार्य के लिए 12 शिक्षक हैं। शनिवार को स्कूल सुबह की पाली में लगता हैं और आज 10 शिक्षक ही स्कूल में मौजूद रहे। जिस हाथों में किताब लेकर छात्र स्कूल जाते और और ज्ञान अर्जित करते हैं। वही स्कूल में शिक्षकों द्वारा छात्रों से मुरुम बिछवाने काम करवाया जा रहा हैं। बाल श्रम पर भले ही कानून की रोक हो लेकिन शिक्षा विभाग के गुरूजी यानि भावी भविष्य के निर्माता कानून को ढेंगा दिखाकर मासूम छात्रों से मजदूरों की तरह भारी भरकम कार्य ले रहे हैं। ऐसा ही नजारा भटचौरा के स्कूल में देखने को मिला। जब छात्र  तथा फावड़ा तसला को  उठाकर स्कूल में मुरुम डाल कर समतलीकरण करते दिखाई दे रहा हैं। अध्यापकों की देखरेख में बच्चों से मजदूरों की तरह कार्य करवाया जा रहा था। हद तो उस समय हो गई जब स्कूल के प्रचार्य स्कूल में रहने छोड़कर गोठान देखने चले गए। अभिभावक बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए स्कूल में भेजते हैं न की उनसे मजदूरों की तरह भारी भरकम कार्य करवाने के लिए। स्कूल टाईम में बच्चे मजदूरों की तरह कार्य करते हैं और छुट्टी के बाद हारे थके घर वापस लौट जाते हैं। बच्चों को किस समय पढ़ाया जाता है यह तो मौके पर मजदूरों की तरह कार्य कर रहे बच्चों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

पालक समिति अध्यक्ष का क्या है कहना?
पालक समिति के अध्यक्ष सुरेश पटेल का कहना है कि जो स्कूल परिसर में मुरुम से समतली करण का कार्य करवाया जा रहा हैं वह शाला विकास निधि से है और मजदूर लगाकर उसे बिछाना हैं मजदूर एक दो दिनों बाद से काम शुरू कर देगा लेकिन स्कूल में बच्चों से समतली करण का कार्य करवाया जा रहा हैं इसकी जानकारी मुझे नही हैं और अपने निजी कार्य से बाहर हु प्रचार्य से जानकारी लेकर ही बता पाऊंगा बच्चों से मजदूर की तरह कार्य करवाना गलत इसके लिए हम मजदूर लगा कर काम करवाते।

प्राचार्य के मुताबिक
प्राचार्य एलसीवारे का कहना है कि मैं पास के गांव में गोठान देखने चला गया था  बच्चों को विजिट कराना हैं जो बच्चे काम कर रहे हैं उससे उनका वार्मअप हो रहा हैं शाला समिति के अध्यक्ष स्वयं आये हुए थे बच्चे श्रम दान कर रहे हैं 12 बच्चों को मेरे द्वारा 200 रुपये दिए गए नाश्ता करने के लिए। 

जिला शिक्षा अधिकारी के मुताबिक
जिला शिक्षा अधिकारी आर एन हिराधर का कहना है कि जो बड़े बच्चे है उनसे कार्य अनुभव के रूप में ले लिया जा सकता हैं लेकिन उनके साथ जिम्मेदार शिक्षक होना चाहिए। ऐसा चीज नहीं देना चाहिए कि जिनसे उनको चोट न लग जाए फावड़ा नही पकड़वाना चाहिए। छोटा मोटा कार्य लेना चाहिए जैसे बागवानी। यदि कोई शिक्षक नहीं है तो यह आपत्तिजनक हैं। यदि प्रचार्य गोठान देखने गया हैं तो किसी वरिष्ठ शिक्षक को चार्ज दिया होगा उसे ध्यान देना चाहिए मैं पूरे मामले का रिपोर्ट मंगाता हूं।