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कड़कनाथ प्रोजेक्ट : दंतेवाड़ा में पांच दिनों में 200 से ज्यादा चूजों की मौत, प्रशासन बेखबर

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Feb 18, 2019

पंकज सिंह भदौरिया : दंतेवाडा में कडकनाथ पालन को बढावा देने और उसके प्रचार प्रसार के लिेय जमकर लाखो रुपये खर्च DMF मद से होते है। पिछले साल मई महीने में कड़कनाथ मुर्गा और मुर्गी की ब्रांडिंग के नाम पर प्रशासन ऐतिहासिक शादी कराकर जमकर फिजूलखर्ची का प्रचार प्रसार भी किया था। कडकनाथ पालन को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते पांच दिनों में एक ही हितग्राही के दो सौ से ज्‍यादा चूजे मर गये। लगातार हो रही चूजों की मौत की वजह विभाग को अब तक पता नहीं है।

दवाईयां 4 से 5 दिनों में एक्सपायर, चूजों की हो रही मौत
दंतेवाडा में ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधारने की मंशा से कडकनाथ पालन प्रोजेक्‍ट की शुरूआत की गयी। इस प्रोजेक्‍ट के तहत हितग्राही को शेड बनाकर एक हजार चूजे तीन किश्‍तों में दिये जाते हैं। मडसे गांव में भी पीलूराम ने इसी योजना का लाभ लेना चाहा। उसे पशुधन विकास विभाग ने 333 चूजे पहले किश्‍त में दिये। 13 फरवरी को ये चूजे दिये गये थे। 13 फरवरी को ही उसके 50 से ज्‍यादा चूजे मर गये। इसके बाद से चूजों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। रविवार तक उसके दो सौ दस चूजे मर गये। इधर लगातार हो रही मौतो से हितग्राही भी हैरान और परेशान है। इधर पीलूराम ने इस बात की जानकारी विभाग को दे दी है। विभाग द्वारा दवाईयां तो उपलब्‍ध करा दी गयी लेकिन इसके बाद भी चूजों की मौत नहीं थम रही। दूसरी तरफ विभाग चूजों की बचाने की मुहिम में एक्सपायर दवाईयों को किसान तक पहुँचा दिया है। अधिकांश दवाईयां चार से पांच दिनों में एक्सपायर होकर बेकार हो जायेगी। 

चूजों की मौत कैसे हुई इस बात से विभाग बेखबर
लगातार मौतों का कारण विभाग भी पता नहीं कर सका है। विभाग द्वारा मरे हुए चूजों को रायपुर के लैब में भेजा गया जहां इनकी मौत के कारणों का पता लगाया जायेगा। विभाग के डाक्‍टरों का कहना है कि जितने चूजों की मौत हुई है उसके बदले में हितग्राही को नये चूजे दिये जायेंगे। वहीं मौत के कारणों के बारे में डाक्‍टर खुद को अंजान बता रहे हैं।

कड़कनाथ प्रोजेक्ट को लेकर विभाग नहीं है गंभीर
जिस कडकनाथ प्रोजेक्‍ट को बढावा देने के लिये मुर्गा और मुर्गी की शादी करायी गयी और जीआई टैग के लिये प्रशासन का मप्र के साथ तकरार भी हुआ था अब उसी कडकनाथ के पालन को लेकर प्रशासन जरा भी गंभीर नहीं है। यही वजह है कि पाचं दिनों के भीतर ही दो सौ से ज्‍यादा चूजे मर गये। देखना होगा, अब बचे चूजों की जान बचाने के लिये विभाग क्‍या कुछ कर पाता है।