Mar 9, 2018
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत ये है कि कोई किडनी की बीमारी से मर रहा है किसी की नसबंदी से जान जा रही है तो कही मोतियाबिंद ऑपरेशन के जरिए लोगों की आँखों की रोशनी छीनी जा रही है। बता दें कि राजनाँदगाँव के क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में हुए मोतियाबिंद ऑपरेशन के मामले में कांग्रेस जाँच टीम ने बड़ा खुलासा किया है कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता के नेतृत्व में गठित 8 सदस्यीय टीम की रिपोर्ट में नकली दवाओं और डॉक्टरों पर दबाव के चलते 35 मरीजों की आँखों की रोशनी चली जाने की खबर सामने आई है।
यह खबर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनाँदगाँव की है जहाँ फरवरी महीने के अंतिम सप्ताह में निजी अस्पताल क्रिश्यिचन फेलोशिप हॉस्पिटल में 22, 23 और 24 फरवरी को मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर का आयोजन किया गया था शिविर में लापरवाही इस कदर हुई की 100 मरीजों में से 35 के आँखों की रोशनी चली गई। वहीं इसके लिए कांग्रेस ने जाँच समिति गठित की, कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता के नेतृत्व में 8 सदस्यीय टीम ने जाँच की।
1. जाँच में टीम ने इन बातों का किया खुलासा
2. नकली दवाओ का हुआ इस्तेमाल
3. 4 निजी डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन
4. क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में पहली बार हुआ मोतियाबिंद का ऑपेरशन
5. 3 दिनों में हुए सौ ऑपेरशन
6. डॉक्टरों पर अधिक-अधिक ऑपरेशम कम समय में करने का था दबाव
7. 23 फरवरी के ऑपेरशन में हुई सर्वाधिक लापरवाही
8. 35 मरीजों की आंखों की गई रोशनी
9. 15 मरीजों के आंखों को निकालने की आई नौबत
10. दो एनजीओ साईं साइटर्स और हेल्पेज ने आयोजित कराया शिविर
11.सिर्फ 1 हजार रुपये प्रति मरीज का ऑपरेशन खर्च
दरअसल ये सभी मरीज आदिवासी इलाका मानपुर ब्लॉक के मुड़पार विचारपुर, हेलमकोड़ा, मरकाक्सा सहित अन्य गावों के हैं। इलाके के मरीजों का ऑपरेशन किया गया लेकिन ऑपरेशन के बाद मरीजों को कम दिखाई देने लगा इसकी शिकायत डॉक्टरों से की गई तो उन्होंने दोबारा मरीजों का ऑपरेशन किया और फिर पूरी तरह से मरीजों की आँखों की रोशनी चली गई।
वहीं फेलोशिप अस्पताल के डायरेक्टर अलग ही सफाई देते नजर आ रहे हैं मामले की जाँच कर रहे जिला अस्पताल के अधीक्षक का कहना है कि जाँच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल सभी मरीजों के बेहतर इलाज के निर्देश के बाद उन्हें रायपुर भर्ती करा दिया गया है। लेकिन सवाल ये है कि मोतियाबिंद ऑपेरशन में हो रही बार-बार ऐसी लापरवाहियों से सबक कब लेंगे क्योंकि यह कोई पहली घटना नहीं जब छत्तीसगढ़ में आँखफोड़वाकांड का मामला सामने आया हो इससे पहले भी राजनाँदगाँव में, दुर्ग में, बालोद में, बलौदाबाजार में सैकड़ों मरीजों की जान से खिलवाड़ हो चुका है। और सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या नकली दवाओं का रैकेट प्रदेश में फूल-फल रहा है। क्योंकि नसबंदीकांड में भी नकली दवाओं के चलते ही पीड़ित महिलाओं की मौत होने की बात सामने आई थी।