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“बिलो द बेल्ट वॉर” करना राजनीति में ठीक नहीं : बृजमोहन अग्रवाल

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Jul 26, 2017

रायपुर : फॉरेस्ट लैंड में रिसार्ट बनाए जाने के आरोप के बीच सरकार के वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा हैं कि “बिलो द बेल्ट वॉर” करना राजनीति में ठीक नहीं हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक जीवन में ऐसी राजनीति कभी नहीं की। उन्होंने बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करते हुए कहा कि “अगर सूत कपास होगा, तो जुलाहों में लठम लट्ठा होगा” और बिना कपास के लठम लट्ठा हो रहा हैं, तो कही ना कही षड्यंत्र हैं।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पंच से लेकर मुख्य सचिव तक, जो भी यह प्रमाणित कर देगा कि गलती हुई हैं, तो ये जमीन वे सरकार को सरेंडर कर देंगे। उन्होंने विरोधियों को नसीहत भरे अंदाज में कहा कि इस तरह गंदी राजनीति करने वालों को अपने परिवार की चिंता करनी चाहिए। इधर जमीन बेचने वाले किसान विष्णु साहू ने कहा हैं कि उन्होंने जमीन सरकार को दान में दी थी, उन्हें यह नहीं पता कि जमीन मंत्री की पत्नी के नाम पर कैसे चढ़ गई? इधर कांग्रेस की ओर से किरणमयी नायक ने ईओडब्लू में पूरे मामले की शिकायत की हैं। 

जमीन मामले में परिजनों का नाम सामने आने के बाद मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया के सामने दस्तावेज पेश करते हुए दावा किया कि जमीन नियमों के तहत ही खरीदी गई हैं। राजस्व विभाग द्वारा 16 बिंदुओं की प्रक्रियाओं का पालन किया गया हैं। जमीन क्रय करने के पहले समाचार पत्रों में विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया हैं। एक सामान्य व्यक्ति जिस तरीके से जमीन खरीदता हैं। ठीक उसी तरह से जमीन खरीदा गया हैं। चुनाव आयोग के सामने भी बकायदा इसे डिक्लेयर किया गया हैं। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह 2009 का मुद्दा हैं। यह समझ के परे हैं कि आखिर 2017 में इस मामले को इस तरह क्यों उठाया जा रहा हैं। जमीन की गड़बड़ी का नोटिस भी कभी किसी ने नहीं दिया। यदि दिया हैं तो वो उपलब्ध कराया जाए।

उन्होंने कहा कि  37 सालों की राजनीति का कभी फायदा नहीं उठाया। षड्यंत्रकारी ऐसी और रिपोर्ट प्रकाशित करवा सकते हैं। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विष्णु साहू ने कही ऐसा बयान नहीं दिया कि उन्होंने जमीन नहीं बेची हैं। उन्होंने आशंका जताई कि विष्णु साहू को बहकाने और दबाव बनाने की कोशिश की जा रही हैं। षड्यंत्रकारी भी उस किसान तक जाकर उसे बहकाते होंगे।  इसलिए अब विष्णु साहू ऐसा बयान दे रहा हैं। बृजमोहन ने कहा कि उन्हें ये भी नहीं पता था कि पत्नी और बेटे के नाम पर ये जमीन हैं। व्यवस्ताओं की वजह से वे इन सब चीजों को नहीं देखते।

बृजमोहन ने कहा कि देश की कोई भी जांच एजेंसी दोषी बताती हैं, तो वो जमीन सरकार को लौटा देंगें। उन्होंने कहा कि किसान के खाते में जमीन दर्ज था। दस्तावेजों में उसे मालिकाना हक दिखाया गया था। विभागों ने सरकारी खाते में नाम नहीं चढ़ाया। सरकारी रिकॉर्ड में उसका बयान हैं। बृजमोहन अग्रवाल ने यह भी कहा कि जमीन खरीदने के बाद ऋण पुस्तिका उनकी पत्नी के नाम जारी किया गया हैं। पत्रकारों के सवालों के बीच बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने उनके रिश्ते अच्छे और मधुर हैं। उनके साथ उनका पारिवारिक रिश्ता हैं।

जमीन के विक्रेता विष्‍णुराम साहू ने 1994 में भूमि को मध्यप्रदेश शासन काल में सिंचाई विभाग को दान में दिया था। जिसकी बकायदा रजिस्ट्री कराई गई थी। इन्‍होंनें बताया कि वो तो जमीन दान में दिये थे, लेकिन अनपढ़ होनें की वजह से हो सकता हैं कि जमीन की रजिस्ट्री कराया गया हो। उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी नहीं कि जमीन मंत्री की पत्नी के नाम पर कैसे चढ़ गई। इस पूरे मामले की शिकायत करने वाले ललित चंद्रनाहू ने कहा कि 1994 में ग्राम जलकी के किसान विष्णु साहू ने इस भूमि को सिंचाई विभाग को दान में दिया था।  जिसकी बकायदा रजिस्ट्री कराई गई थी।

सिंचाई विभाग ने उक्त जमीन को वन विभाग को हस्तान्तरित कर दिया था। उसके बाद 2003-04 में वन विभाग ने 22 लाख रुपए से उक्त जमीन पर पौधारोपण भी किया। शिकायकर्ता ने शासन-प्रशासन से शिकायत की, जब 1994 में शासन को दान कर दिया तो दोबारा खरीदी बिक्री कैसे हुई। शिकायतकर्ता ने इसी के साक्ष्य को सूचना के अधिकार के तहत निकलवाकर शिकायत की।

बहरहाल एक ओर मंत्री की पत्नी और बेटे पर आरोपों की झड़ी लग रही हैं, तो दूसरी ओर मंत्री दावा कर रहे हैं कि जमीन खरीदी में प्रक्रियाओं का पालन किया गया। जमीन दान करने वाले किसान ने दो टूक कह दिया हैं कि उन्होंने जमीन सरकार को दान में दी थी। ऐसे में सवाल कई हैं, जिसके जवाब के लिए जरूरत हैं एक उच्च स्तरीय जांच की। अब मामला फूटा हैं, तो गेंद सरकार की गोद में हैं। देखना होगा कि इस मसले पर सरकार का क्या रूख सामने आता हैं।