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महासमुंद में गहराया जल संकट, पीने के पानी की बढ़ीं मुश्किलें

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May 10, 2019

रेख राज : गर्मी के मौसम में तापमान दिन प्रतिदिन जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है। वैसे ही महासमुंद जिले के लोगों के लिए निस्तारी व पीने के पानी के लिए किल्लतें बढ़ती जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के तालाब और नलकूप सूखने लगे हैं, ग्रामीणों को पीने के पानी व निस्तारी के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करने के बाद पानी नसीब हो रहा है। वहीं आला अधिकारी रटारटाया राग अलापते हुये व्यवस्था सुधारने की बात कह रहे हैं। 

महासमुंद में जल संकट 
भीषण गर्मी में महासमुंद में जल संकट गहराने लगा है। महासमुंद जिले में 545 ग्राम पंचायत व 1140 गांव है। जहाॅ की आबादी लगभग 10 लाख है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इन ग्रामीण क्षेत्रों में 11765 हैण्डपंप लगवाये है। जिनमें से 500 हैण्डपंप पानी का जलस्तर नीचे चले जाने के कारण सूख गये है, तो वहीं 493 सूखने के कगार में है। विभाग ने ग्रामपंचायतों में 1295 बोर लगाये है। जिनमें से दो दर्जन से ज्यादा बोर जलस्तर नीचे चले जाने के कारण बंद है। 45 हैण्डपंपों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण पानी पीने योग्य नही है। 

2300 तालाबों का गहरीकरण
जिला पंचायत के द्वारा जिले में बीते चार वर्षो में मनरेगा के तहत अरबों रूपये खर्च कर 2300 तालाबों का गहरीकरण कराया गया, 300 नये तालाब खोदवाये गये, पर इस भीषण गर्मी में लगभग 80 प्रतिशत तालाब सूख गये है। जिसके कारण ग्रामीण इलाको में पेयजल व निस्तारी की भंयकर समस्या उत्पन्न हो गई है। कई गांवों के ग्रामीण तो 1 से दो किलोमीटर से पानी लाने को मजबूर है। ग्रामीणो का कहना है कि गांवो के ज्यादातर तालाब व हैण्डपंप सूख गये है। जिससे पीने के पानी व निस्तारी के लिए काफी समस्या बनी हुई है। 

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुताबिक
इस पूरे मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि जलस्तर 18 मीटर से घटकर 23 मीटर चला गया है जिसके कारण यह समस्या निर्मित हुई है। उसके बावजूद पानी की व्यवस्था में विभाग लगा हुआ है। गौरतलब है कि हर साल पानी के लिए ग्रामीण दर -दर भटकने को मजबूर है, उसके बावजूद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के द्वारा समुचित व्यवस्था नही किया जाना विभाग के सुस्त कार्य प्रणाली को दर्शाता है।