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इस सरकारी अस्पताल में नहीं हैं सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम

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Aug 16, 2017

ग्वालियर : गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के पीछे सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होना बताया जा रहा हैं। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े सरकारी जयारोग्य अस्पताल में सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम ही नहीं हैं। मेडिसिन आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों को आज भी ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए ही ऑक्सीजन लगाई जाती हैं। यहां 5 सिलेंडर की सुविधा हैं, जबकि गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा होती हैं।

प्रदेश सरकार के कुछ दिग्गज मंत्रियों और विधायकों का ग्वालियर अंचल से सीधा नाता हैं। बाजवूद इसके जेएएच के मेडिसिन आईसीयू में मात्र 5 लाख की लागत में शुरू होने वाले सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पाई हैं। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के मेडिसिन आईसीयू का निर्माण तत्कालीन डीन डॉ अजय शंकर ने वर्ष 1976 में कराया था। यह जेएएच का पहला आईसीयू था। 20 पलंग के इस आईसीयू में आज भी पुराने तरीके से ऑक्सीजन सिलेंडर से मरीजों का इलाज किया जाता हैं। सिर्फ 5 सिलेंडर के भरोसे आईसीयू में इलाज होता हैं। गंभीर मरीज आने पर किसी को वेंटिलेटर से हटाना पड़ता हैं या फिर दूसरे वार्ड से सिलेंडर मंगाना पड़ता हैं। कई बार ऑक्सीजन सिलेंडर बीच में ही खत्म हो जाता हैं। ये तब पता चलता हैं जब मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ जाती हैं। लेकिन अब जयारोग्य अस्पताल प्रबंधन आनन-फानन में सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम लगवाने के लिए प्रस्ताव बना रहा हैं।

ये सुविधा भी नहीं हैं

  •  आईसीयू मतलब इंटेंसिव केयर यूनिट। यहां भर्ती होने वाले मरीज गंभीर होते हैं। इसीलिए आईसीयू में जीवनरक्षक कुछ सुविधाएं आवश्यक होती हैं।
  •  किसी भी आईसीयू में वेंटिलेटर के लिए सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम को होना अति आवश्यक हैं, लेकिन नहीं हैं।
  •  आईसीयू में मुंह की सफाई के लिए सेंट्रल सेक्शन सिस्टम भी जरूरी होता हैं, लेकिन नहीं हैं।
  •  आईसीयू में भर्ती मरीजों पर नजर बनाए रखने के लिए सेंट्रल मॉनिटर सिस्टम भी होना जरूरी हैं, लेकिन नहीं हैं।
  •  जयारोग्य अस्पताल उत्तर मध्य भारत के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार है। ये लगभग डेढ़ करोड़ की आबादी को कवर करता है।

ऐसा नहीं हैं कि ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के मेडिसिन आईसीयू में सेंट्रल ऑक्सीजन की सुविधा पहले नहीं थी। निर्माण के समय सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम आईसीयू में काम करता था। इससे मरीज के अटेंडेंट को डॉक्टर को बुलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। मॉनिटरिंग सिस्टम को देखकर खुद चिकित्सक मरीज के पास पहुंच जाते थे। लेकिन करीब 20 साल पहले का यह सिस्टम जब से खराब हुआ तो उसे कभी सुधारा ही नहीं गया। ऐसे में कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर होती हैं। लेकिन इन सब में हैरत की बात ये भी हैं, ये स्वास्थ्य विभाग के मंत्री रूस्तम सिंह का गृह जिला भी हैं।