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खतरे में बैजनाथ मंदिर का अस्तित्व

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Aug 4, 2017

धार : लोगों की आस्था का केंद्र श्री बैजनाथ महादेव मंदिर के पत्थरों में क्षरण हो रहा हैं। जरा सा हाथ लगते ही पत्थर गिरने लगते हैं। प्रत्येक दो-तीन सालों में विभाग द्वारा पत्थरों की केमिकल से धुलाई की जाती हैं, जिससे पत्थर में लगे कीड़े समाप्त होने से क्षरण होना बंद हो जाता हैं, लेकिन गत चार सालों से केमिकल से धुलाई नहीं होने के कारण क्षरण की प्रक्रिया तेज हो गई हैं। जिससे पुरातन धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आने लगा हैं।

मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन हैं। इसकी देखरेख के लिए विभाग द्वारा केअर टेकर भी नियुक्त किया गया हैं, लेकिन जवाबदार द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने का खामियाजा पुरातन धरोहर भुगत रही हैं। मंदिर के पिलर के पत्थर भी टूटने लगे हैं। वहीं इमारत पर नक्काशी कर बनाई प्रतिमाएं भी खंडित होने लगी हैं। मंदिर के शिखर पर ध्वजा आदि बदलने के दौरान चढ़ने में भी लोग डरने लगे हैं। 

परमारकालीन वर्षो पुराना हैं मंदिर

परमारकालीन बैजनाथ महादेव मंदिर को उड़नियां मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। एक किंवदंती अनुसार कोई तपस्वी अपने तबोबल से इस मंदिर को उड़ाकर ले जा रहे थे, लेकिन सूर्यास्त का समय होते ही उन्होंने इसे यहां स्थापित कर दिया था। उड़ियां शैली में बने होने के कारण इसे उड़नियां मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। मंदिर के नाम से नपं प्रतिवर्ष मेला आयोजित करती हैं। अगर समय रहते इस प्राचीन धरोहर की देखभाल नहीं की गई, तो इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा सकता हैं।