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डार्कनेट से लाखों की ठगी करने वाला गिरोह गिरफ्तार

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Oct 16, 2017

इंदौर : सायबर सेल ने एक बड़ा खुलासा किया है। क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशों की ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर खरीदी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को मुंबई से पकड़ा हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस को ग्राहक बनना पड़ा। सायबर की दुनियां में घुसने के बाद शातिर ठग पुलिस के हत्थे चढ़े।

गिरोह का मास्टरमाइंड पाकिस्तान के लाहौर से बैठकर गिरोह को संचालित कर रहा हैं। वहीं गिरोह से जुड़े जबलपुर के एक आरोपी को पकड़ने के लिए टीम लगाई गई हैं। महज एक कार्ड की डिटेल से पता चला है कि शातिर बदमाशों ने 15 से 20 लाख रुपए की खरीदी की हैं। अभी अन्य बदमाशों की गिरफ्तारी और कार्डों की डिटेल से कई अहम खुलासे होंगे।

आरोपी क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशी वेब साइट्स पर खरीदी करते थे। एयरटिकट और घूमने फिरने के लिए चोरी के क्रेडिट कार्ड डिटेल से पेमेंट करते थे। डार्कनेट का इस्तेमाल करके बैंक के ग्राहकों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल खरीद रहे थे। रुस की एफई नामक वेबसाइट पर भारतीयों की क्रेडिट कार्ड की डिटेल उपलब्ध हैं। 8 से 12 डॉलर देकर कार्ड डिटेल खरीदते थे।

बिट क्वाइंन के जरिए डिटेल का पेमेंट होता था। 5 सालों से गिरोह ठगी की वारदातें कर रहे हैं। 4 महीनों में 30 शिकायतें मिलने के बाद पुलिस ने आरेपियों पर शिकंजा कसा। महज घूमने फिरने और अय्याशी करने के लिए पूरा गिरोह भारत के क्रेडिट व डेबिट कार्ड की डिटेल खरीदकर पैमेंट करते थे।

ऐसे देते हैं बदमाश पूरी ठगी को अंजाम

हैरत की बात यह है कि गिरोह की मुख्य कड़ी नाडर ने पूछताछ में बताया हैं कि बैंक मैनेजर के क्रेडिट कार्ड की डिटेल से अपने गर्लफ्रेंड के लिए अरमानी कंपनी से 66 हजार रुपए की ड्रेस भी खरीदा थी। यहीं नहीं उसके पहले गर्लफ्रेंड के छोड़ के जाने के बाद शरीर पर ध्यान देना छोड़ दिया, जिसके कारण उसके वजन 70 किलो से 140 किलो हो गया हैं।

गिरोह की मुख्य कड़ी रामप्रसाद नाडर है, जो मूल रुप से तमिलनाडू का रहने वाला हैं। बीकॉम और एमबीए करने के बाद मुंबई आ गया और एक साल तक एचडीएफसी बैंक में नौकरी की। यहीं पर उसको पता चला कि अगर किसी ग्राहक का डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से विदेशों में रुपए निकल जाते हैं। बैंक  उनका रुपया 14 दिनों बाद लौटा देता हैं। जिसके बाद इसने पहला अपराध किया।

पहले अपने दोस्त के खाते में रुपए जमा करवाया और फिर दोस्त का क्रेडिट कार्ड किसी तीसरे दोस्त को देकर बैंकाक भेज दिया। वहां से लौटने पर बैंक में जाकर दूसरे दोस्त के जरिए साबित कराया कि वो विदेश गया ही नहीं। जिसके कारण बैंक ने 46 हजार रुपए वापस कर दिए।

गिरोह का दूसरा सदस्य रामप्रशान पिल्लई हैं, जो भी मूल रूप से तमिलनाडू का ही रहने वाला हैं। दोनों आरोपी कक्षा नौवीं से साथ में हैं। दोनों ने साथ मिलकर ही पूरी ठगी की वारदात को अंजाम दिया हैं।

क्रेडिट कार्ड डिटेल चुराकर ठगी करने के पहले दोनों ने अपने अमेरिका में रहने वाले दोस्त अपूर्व से 45 हजार रुपए में आईफोन मंगवाते थे। इन मोबाइलों को ई-बे नाम की वेबसाइट के जरिए 60 हजार रुपए में बेचते थे।

गिरोह का तीसरा सदस्य गौरव गुप्ता है, जो मूल रुप से जबलपुर का रहने वाला हैं। गिरोह में शामिल होने के जानकारी मिली हैं। आरोपी ने कई बार क्रेडिट कार्ड की डिटले से विदेशों की टिकट खरीदी और घूमने फिरने गया है। इसकी अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

वहीं गिरोह का मुख्य सरगना पाकिस्तान के लाहौर का शेख अफजल हैं। ये बदमाश ही पूरे गिरोह को पाकिस्तान से संचालित करता हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि आरोपी रामप्रसाद नाडर ने बड़ा हाथ मारने की नियत से डार्कनेट की वेब साइट्स पर सर्फिंग करना शुरू की।

एक वेबसाइट के फोरम में जाकर इसने क्रेडिट कार्ड डिटेल खरीदने की जानकारी निकाली। इसी दौरान इसका संपर्क लाहौर के शेख अफजल से हुआ। पहले कुछ समय तक तो अफजल इसको सस्ते दामों पर विदेशों की एयर टिकट उपलब्ध करवाता रहा।

बाद में शेख ने एक अकाउंट मुहैया करवाया, जहां पर हैकर्स द्वारा हैक किए गए सैकड़ों की संख्या में क्रेडिट व डेबिट कार्ड की डिटेल मौजूद थी। 8 से 12 डॉलर की राशी का पेमेंट करके कार्ड की डिटेल रामप्रसाद खरीदने लगा। आरोपी 2014 से 2106 के बीच में कई बार बैंकाक, दुबई, हांगकांग और थाईलैंड घुमने गया था।

क्या है डार्कनेट 

दरअसल बदमाशों की कारस्तानी समझने के पहले यह जानना जरुरी हैं कि आखिर डार्कनेट है क्या और यहां पर कैसे पहुंचा जा सकता है? तो आपको बता दे यहां पर पहुंचना आम इंटरनेट यूजर्स के बस की बात नहीं हैं।

इंटरनेट की यह अलग ही दुनिया हैं। जहां पर अवैध हथियार, देह व्यापार और ड्रग्स का धंधा फलता फूलता हैं। यहां पर मौजूद वेब साइटस पर सभी अवैध काम किए जाते हैं। अलग ही ब्राउजर्स और इस्तेमाल करने वाले भी अपराधी होते हैं। शुरुआती समय में सिल्क रूट नाम से डार्कनेट की शुरुआत हुई थी। बाद में एफबीआई नें इसे बंद करवा दिया।

आपको जानकर हैरानी होगी कि डार्कनेट पर खरीदी बिक्री के लिए रुपए की जरुरत नहीं होती हैं। यहां पर बिट क्वाइन के जरिए ही पेमेंट किया जाता हैं। जानकारी के मुताबिक बिट क्वाइन सिस्टम भारत में न तो लीगल हैं और न ही इनलीगल। सायबर सेल के मुताबिक आज की स्थिती में एक बिट क्वाइन की कीमत तीन लाख 64 हजार रुपए हैं। बदमाशों ने क्रेडिट व डेबिट कार्ड की खरीददारी के लिए बीट क्वाइन वॉलेट भी बना लिया था।

दरअसल पकड़े गए दोनों आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि रामप्रसाद नाडर को शेख अफजल ने ही डार्कनेट के जरिए ठगी करने का पूरा गुण सिखाया था। यहीं नहीं पूरे खुलासे के लिए सायबर सेल को भी डार्कनेट वेबसाइट पर सर्फिंग करना पड़ा।

फिलहाल पुलिस ने वहीं से इंदौर के 13 कार्ड होल्डर्स की सूची निकाली हैं, जिनसे संपर्क किया जा रहा हैं। साबयर सेल के मुताबिक पिछले 3 से 4 माह में 30 शिकायतें आई थी। शिकायतों के बाद पुलिस ने जांच करना शुरू किया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ हैं।

आरोपियों के पास से 25 क्रेडिट व डेबिट कार्ड समेत मोबाइल फोन, लैपटॉप और 8 आधार कार्ड जब्त हुए हैं। सायबर सेल की माने तो जबलपुर के आरोपी की तलाश की जा रही हैं। वहीं तीनों से मिली जानकारी के आधार पर गिरोह के सरगना को भी पकड़ने का प्रयास किया जाएगा।