Loading...
अभी-अभी:

सरकारी अस्पतालों को जल्द मिलेगा बदबू से निजात

image

Aug 31, 2017

ग्वालियर : मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को जल्द ही गंदे और बदबूदार टॉयलेट से निजाते मिलने वाली हैं। जी हां प्रदेश के करीब 13 हजार अस्पतालों में बायो टॉयलेट लगाए जाएंगे। ग्वालियर जिला पंचायत द्वारा बनाए गए बायो टॉयलेट मॉडल को सरकार ने हरी झंडी दे दी हैं। बायो टॉयलेट से न सिर्फ सरकारी अस्पतालों में लोगों को गंदगी और बदबू से निजात मिलेगी बल्कि इन अस्पतालों में लाखों लीटर पानी की बचत भी होगी।

मध्य प्रदेश में 12 हजार 768 प्राथमिक और उप स्वास्थ केंद्रों पर आने वाले मरीजों और अटेंडरों को अब बदबूदार या गंदगी भरे टॉयलेट से मुक्ति मिलने वाली हैं। जी हां ग्वालियर जिला पंचायत द्वारा बनाए गए मॉडल बायो टॉयलेट को प्रदेश के सरकारी अस्पताल में लगाने की तैयारी कर ली गई हैं। सरकार ने मॉडल बायो टॉयलेट को हरी झंडी दे दी हैं। बायो टॉयलेट में मौजूद एनारोविक बैक्टीरिया मानव मल-मूत्र को खाकर पूरी तरह से खत्म करेगा। इसके बाद मल पूरी तरह से पानी में बदल जाएगा और ये पानी भी खादयुक्त होकर निकलेगा। इसी खूबी के चलते टॉयलेट में गंदगी का स्तर भी 50 प्रतिशत कम हो जाता हैं। ग्वालियर के 150 प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों को भी बायो टॉयलेट लगने से गंदे और रिसने वाले शौचालयों से मुक्ति मिल सकेगी।

  

हर जिले में कलेक्टर प्राथमिक उप स्वास्थ्य केन्द्र और कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों का चुनाव करेंगे, विभाग फंड उपलब्ध कराएगा। इसके बाद एनारोविक बैक्टीरिया के लिए ग्वालियर जिला पंचायत के अधिकृत वेंडरों से संपर्क कर करेंगे। बायो टॉयलेट अस्पताल में आने वाले मरीज और अटेंडरों की तादाद के हिसाब से अलग-अलग वैरायटी में उपलब्ध कराए जाएंगे। बड़े अस्पतालों के लिए चेंजिंग रूम, टॉयलेट, बॉश बेसिन स्थापित होंगे, ऐसे टॉयलेट पर 2 लाख रुपए खर्च होंगे। 

सरकार के इस फैसले से डॉक्टर भी खुश हैं। दरअसल वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में जो शौचालय हैं, वे जीर्ण-शीर्ण और टू लीच पिट यानी सेप्टिक टैंक तकनीक पर आधारित हैं। इनमें सीवर टैंक से रिसाव होने के कारण मल-मूत्र पानी के जरिए मानव जीवन को विभिन्न बीमारियों का शिकार बना देता हैं। डॉक्टरों का कहना हैं कि अस्पताल ही नहीं सभी सरकारी संस्थानों में बायो टॉयलेट अनिवार्य कर देना चाहिए। जिससे न सिर्फ गंदगी पर लगाम लगेगी बल्कि लाखों लीटर पानी की बचत भी होगी। मॉडल बायो टॉयलेट आज के दौर में गंदगी और बंदबू से निजाते का सबसे अच्छा जरिया साबित हो रहा हैं। स्वच्छ भारत के लिए बायो टॉयलेट सबसे जरूरी हैं।

अखिर कैसे काम करता हैं...

सामान्य शौचालय को सोखता गड्‌ढे या टैंक से जोड़ने के बजाय डीआरडीओ तकनीक से बनाए गए बायो डायजेस्टर से जोड़ा जाता हैं। जो 4 फीट लंबा, 4 फीट चौड़ा और इतना ही गहरा होता हैं। इस डायजेस्टर को एयर टाइट किया जाता हैं। इसके अंदर एक तिहाई भाग में एनारोविक बैक्टीरिया डाला जाता हैं। शौचालय से जो भी मल-मूत्र इस डायजेस्टर के अंदर आता हैं, बैक्टीरिया उसे खाने लगता हैं। ऐसा करने से इसके अंदर मीथेन गैस पैदा होती हैं। जिसके कारण डायजेस्टर में एक प्रकार का एयर प्रेशर बनता हैं जो पानी को एक कॉलम से दूसरे में और फिर तीसरे कॉलम में लेकर जाता हैं। यहां से पानी बाहर नाली में निकाल दिया जाता हैं। यह पानी हानिकारक बैक्टीरिया से मुक्त होता हैं और इस पानी का उपयोग खेती और गार्डनिंग के लिए पुनरू किया जा सकता हैं। इसके साथ ही भू-जल के प्रदूषित होने की आशंका भी खत्म हो जाती हैं।